Wednesday, September 2, 2020

Latest hindi and english news

देश में इन दिनों कोरोना के पीक को लेकर काफी असमंजस की स्थिति है। हमें पहले यह समझना होगा कि पीक है क्या? किसी भी देश में जब एक्टिव केस बढ़ने बंद हो जाते हैं और उसके बाद रोज घटने लगते हैं, तब उसे पीक कहते हैं। तब कुल संख्या स्थिर हो जाती है और एक्टिव केस घटने लगते हैं।

भारत में अभी हमारी एक्टिव केस की ग्रोथ बहुत कम हो गई है। हम जीरो के करीब हैं। करीब 0.2% पर। तो हमलोग अभी पीक के करीब हैं क्योंकि एक्टिव केस की ग्रोथ कम है। लेकिन इन एक्टिव केस में बढ़त शून्य होगी, उसके बाद निगेटिव होगी, तब हम कह पाएंगे कि पीक आ गया है। तो फिलहाल भारत में पीक पर नहीं पहुंचा है।

दूसरे देशों में दूसरा पीक आने वाला है

लेकिन इस परिभाषा से हम देखेंगे तो इटली में पीक आया था, यूरोपीय देशों में, यूके में, फ्रांस में तो प्लेटो तक हुआ। स्पेन में भी पीक हुआ था। वहां एक्टिव केस घटे थे, लेकिन फिर नंबर बढ़ने लगे। अब उनका दूसरा पीक आने वाला है। ऐसे ही जापान में पहली लहर में कोरोना मामलों की कुल संख्या 12 हजार थी। अब उनके पास फिर 13 हजार के करीब एक्टिव केस हो गए हैं। ईरान में भी पहले जितने मामले आए थे, उससे कहीं ज्यादा दूसरी लहर में आ रहे हैं। जहां तक हमारे देश में पीक के अनुमान का सवाल है तो महामारी विशेषज्ञ पिछले 6 महीनों में गणितीय मॉडल इस्तेमाल कर पहले भी कई बार गलती कर चुके हैं।

हमें कोई अनुमान नहीं लगाना चाहिए

जब आप अनुमान लगाते हैं तो यह मानकर चलते हैं कि वृद्धि की दर यही रहेगी और कोई परिस्थिति नहीं बदलेगी। लेकिन 4-5 महीने पहले कौन कह सकता था महाराष्ट्र के बाद आंध्रप्रदेश दूसरा बड़ा हॉटस्पॉट निकलेगा। लेकिन आप कुल संख्या देखें तो महाराष्ट्र में रोजाना 12 हजार मामले आ रहे हैं। लेकिन आंध्र में भी रोजाना 10 हजार आ रहे हैं। कल को भगवान न करे किसी और तीसरे राज्य में ऐसी संख्या आना शुरू हो गई तो। इसलिए हम पिछले आंकड़ों को देखकर स्टैटिस्टिकल एनासलिसिस करते हैं, लेकिन हमें अनुमान नहीं लगाना चाहिए।

बड़ा देश है, सभी राज्यों में अलग-अलग पीक होगा और लोगों को भी उसी हिसाब से समझना होगा। जैसे दिल्ली में पीक डेढ़ महीने पहले हो गया। लेकिन अब फिर नंबर बढ़ने लगे हैं। दिल्ली में पीक था 4000 रोजाना। अगर हम फिर से टेस्टिंग आगे नहीं बढ़ाते हैं तो दूसरी लहर की आशंका है क्योंकि दिल्ली में बाहर से भी बहुत लोग आते हैं।

दिल्ली में फिर से टेस्टिंग कम हो गई

अभी दिल्ली में टेस्टिंग फिर घटना शुरू हो गई है। टेस्टिंग जब घट जाती है तो संक्रमण बढ़ रहा है, यह आपको पता नहीं चल पाता। इससे पॉजीटिविटी रेट बढ़ता जाता है और जब यह बढ़ता है तो मृत्युदर भी बढ़ती है और गंभीर मामले आते रहते हैं। फिलहाल सबसे अच्छी बात यह है कि संक्रमण की गति इतनी कम कभी नहीं रही है।

अभी एक्टिव केस की ग्रोथ रेट बहुत कम है। लॉकडाउन हटने के बावजूद अगर संक्रमण में वृद्धि कम हो रही है, तो यह अच्छी बात है। क्योंकि आशंका यह थी कि जब लॉकडाउन हटेगा तो संक्रमण तेजी से बढ़ेगा। रोज भले ही 60-65 हजार मामले आ रहे हैं, लेकिन अब रिकवरी इतनी ज्यादा है कि कुल एक्टिव केस की संख्या कम हो रही है।

दूसरी तरफ गांव में संक्रमण बढ़ने की बात हो रही है। यह स्थिति खतरनाक है। हमने स्वास्थ्य सेवाओं, हाउसिंग आदि कई मापदंडों पर विश्लेषण किया है कि अलग-अलग राज्यों में लोग संक्रमण को लेकर कितने असुरक्षित हैं, उसे लेकर इंडेक्स बनाया है। उसमें देखें तो मध्यप्रदेश, बिहार, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, झारखंड, प.बंगाल, ये सभी राज्य बहुत असुरक्षित हैं क्योंकि यहां स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बहुत कम है। ऐसे में जब यहां कोरोना ज्यादा फैलेगा तो यह बहुत चिंताजनक है।

बिहार में सुविधाएं कम हैं

जब हम देखते हैं कि बिहार के प्रमुख अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई कम है या कोविड केयर की आधारभूत जरूरतें भी उपलब्ध नहीं हैं, तो आपको अतिरिक्त सप्लाई तो करनी पड़ेगी। वहां अस्पताल भी कम हैं। ऐसे में सरकार को बहुत कुछ करना होगा। जैसे पीएम केयर से डीआरडीओ के 500 बिस्तर वाले मेकशिफ्ट (जुगाड़ से बने, अस्थायी) अस्पतालों की घोषणा हुई है।

फिलहाल देशभर में स्थितियों को नियंत्रित करने के लिए सबसे जरूरी है टेस्टिंग बढ़ाना। टेस्टिंग न बढ़ने से पॉजीटिविटी रेट ज्यादा बना रहता है। जैसे महाराष्ट्र में रेट 18% है यानी हर 100 टेस्ट में 18 पॉजीटिव आ रहे हैं।

तेलंगाना में भी 13-14% है, जो बहुत ज्यादा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि टेस्टिंग कम हो रही है। ऐसा ही आंध्रप्रदेश और बिहार में है, जहां पॉजीटिविटी रेट ज्यादा है। डब्ल्यूएचओ कहता है कि पॉजिटिविटी रेट 5% से कम होना चाहिए। सभी राज्यों को कोशिश करनी चाहिए कि यह 5% से कम हो। अभी देश की पॉजीटिविटी दर करीब 8% है। इसे 5% से कम पर लाने के लिए हमें कम से कम 15 लाख टेस्ट रोजाना करवाने की जरूरत है। (ये लेखिका के अपने विचार हैं)



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
शमिका रवि, प्रधानमंत्री की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल की पूर्व सदस्य


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3gQh8DQ
https://ift.tt/2YY409x

No comments:

Post a Comment

'Mitron' app kya hai/what is 'mitron' app

                    मितरोन एप क्या है Mitron एक सोशल मीडिया एप्लिकेशन है।mitron ऐप को भारत में एक आईआईटी के छात्र ने बनाया है। उसका नाम श...