Monday, August 31, 2020

United Kingdom daily news

The fee for single-use bags will rise to 10p and be extended to all shops from April 2021.

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america and Canada latest news

Several US states report record daily infections; New Zealand eases restrictions and makes masks compulsory.

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latest news america English and Hindi news

US President Election 2020: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) से पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद 1973 से वॉशिंग्टन स्थित अमेरिकी यूनिवर्सिटी के इस प्रोफेसर का दावा है कि इस बार ट्रंप पिछड़ गए हैं. चार साल पहले हिलेरी क्लिंटन (Hilary Clinton) के मुकाबले जब कोई एक्सपर्ट नहीं मान रहा था कि ट्रंप जीतेंगे, तब इसी प्रोफेसर ने कहा था कि जीतेंगे!

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HINDI AND ENGLISH LATEST NEWS

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ कोर्ट की अवमानना मामले में आज सजा का ऐलान हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे और सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने वाले अपने ट्वीट के

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Latest hindi and english news

आज ही के दिन 25 साल पहले 1995 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की एक आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी। वह पंजाब-हरियाणा सचिवालय के बाहर अपनी कार में थे। तभी एक खालिस्तानी आतंकी वहां मानवबम बनकर पहुंचा और अपने आप को उड़ा लिया। इस आत्मघाती हमले में बेअंत सिंह समेत 18 लोगों की मौत हो गई थी।

23 साल पहले वेल्स की राजकुमारी की पेरिस में कार दुर्घटना में मौत

1997 में ब्रिटेन की राजकुमारी और राजकुमार चार्ल्स की पूर्व पत्नी डायना की पेरिस में एक कार दुर्घटना में मौत हो गई थी। लेकिन, यह दुर्घटना आज भी संदेह के घेरे में है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, डायना पेरिस में अपने प्रेमी डोडी अल फाएद के साथ कार में घूम रही थीं। इस बीच कुछ फोटोग्राफरों को कार का पीछा करते देख ड्राइवर ने कार का एक्सलरेटर दबा दिया और फिर कार एक सुरंग में पोल से टकरा गई।

हादसे में डायना, डोडी और ड्राइवर हेनरी पॉल की मौत हो गई, जबकि डोडी का बॉडीगार्ड बच गया। मौत की जांच के लिए गठित समिति ने 2008 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कार ड्राइवर की लापरवाही से एक्सीडेंट हुआ। डायना अपने वक्त की सबसे खूबसूरत महिलाओं में शामिल थीं। वह ग्रेट ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ सेकेंड के बेटे और ब्रिटेन के होने वाले राजा चार्ल्स की पत्नी भी थीं।

64 साल पहले राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित हुआ था

आज ही के दिन 1956 में फजल अली की अध्यक्षता में गठित आयोग के सुझावों को मानते हुए राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित हुआ था। संविधान बनने के बाद 27 नवंबर, 1947 को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश एस.के. धर की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय आयोग का गठन किया।

आयोग को इस बात की जाँच-पड़ताल करने के लिए कहा गया कि भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन उचित है अथवा नहीं। इस आयोग ने दिसंबर 1948 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। इस रिपोर्ट में आयोग ने प्रशासनिक आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का समर्थन किया गया था। 22 दिसंबर, 1953 को फजल अली की अध्यक्षता में एक दूसरा आयोग बना। आयोग ने 30 सितंबर, 1955 में केंद्र को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

संसद ने इस आयोग की सिफारिशों को कुछ परिवर्तनों के साथ स्वीकार कर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित किया। इस अधिनियम के अंतर्गत भारत में चौदह राज्य आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, बंबई, जम्मू-कश्मीर,केरल, मध्यप्रदेश, मद्रास, मैसूर, उड़ीसा (वर्तमान में ओडिशा), पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के अलावा पांच केंद्र शासित प्रदेश थे।

इतिहास के पन्नों में आज के दिन को इन घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है…

  • 1919: अमेरिकन कम्युनिस्ट पार्टी का गठन हुआ।
  • 1920: अमेरिकी शहर डेट्रायट में रेडियो पर पहली बार समाचार प्रसारित किया गया।
  • 1957: मलेशिया ने ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त कर ली।
  • 1968: भारत में टू-स्टेज राउंडिंग रॉकेट रोहिणी-एमएसवी 1 का सफल प्रक्षेपण किया गया।
  • 1983: भारत के उपग्रह इनसेट-1 बी को अमेरिका के अंतरिक्ष शटल चैलेंजर से प्रसारित किया गया।
  • 1991: उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान ने सोवियत संघ से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की।
  • 1998: उत्तरी कोरिया ने जापान पर बैलिस्टिक मिसाइल दागा।


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25 years ago, former Punjab Chief Minister Beant Singh was murdered by Khalistani fanatics with a human bomb, 64 years ago the country's Parliament passed the State Reorganization Act.


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Latest hindi and english news

ग्लैन क्रैमन. कोरोनावायरस के इस चिंता भरे माहौल में हर कोई मन को शांत रखने और खुश रहने की कोशिश कर रहा है। जीवन में पहली बार ऐसे हालात देखने को मिले, जब हम हमारे दोस्तों और यहां तक कि रिश्तेदारों से मिलने से पहले सोच रहे हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद हैं, कहीं भी आने-जाने पर रोक-टोक जारी है। इतना ही नहीं घर के बाहर निकलने में भी खतरा है।

बुरे हालात की वजह से दिमागी तौर पर परेशान होना स्वभाविक है। ऐसे में एक थैरेपी है, जो आपकी मदद कर सकती है। क्यों न इस तनाव के माहौल में जर्नल लिखना शुरू किया जाए। इससे आप खुद को बेहतर तरह से जान पाएंगे। इससे आपकी लेखनी सुधरेगी और वो कहानी बेहतर ढंग से तैयार होगी जो आप अपने बारे में दूसरों को सुनाना चाहते हैं। यह एक साइकोथैरेपी का काम भी करेगी और सबसे खास बात यह सस्ता भी है।

एक तरह की थैरेपी है जर्नल राइटिंग

  • रिसर्च बताते हैं कि जर्नल लिखना आपके लिए अच्छा हो सकता है। यह आपको तनाव से और कुछ डिप्रेशन से लड़ने में मदद करता है। आप इसके जरिए मन की चीजों को बाहर निकालते हैं और खुद को लेकर ज्यादा जागरूक होते हैं। एक जर्नल बुरे वक्त में काफी काम आता है।
  • इस वक्त में लिखने के जरिए आप खुद को संभालने की कोशिश करेंगे। लिखने के बाद इसे दोबारा पढ़ना आपको बताएगा कि क्या गलत हो रहा है और इसे सुधारना कैसे है। इसकी वजह से आप अकेलेपन में भी अकेला महसूस नहीं करेंगे।

यादों को सहेजता है जर्नल

  • एक जर्नल आपको जीवन के शानदार पलों को सहेजने में मदद करता है। ऐसे कई किस्से आप जर्नल में शामिल कर सकते हैं, जिन्हें सालों बाद पढ़ने पर यादें ताजा हो जाएंगी। सबसे अच्छे जर्नल वो होते हैं, जो ईमानदारी से लिखे गए हैं। शायद इसलिए कई लोग सोशल मीडिया पर खुश चेहरे पोस्ट करने के बजाए जर्नल बनाते हैं।
  • थैरेपी में यह ईमानदारी सच जानने में मदद करती है और इसका सबसे अच्छा हिस्सा है आगे बढ़ते रहना। यह आपको चुनौतियों के जरिए सोचने में मदद करती है। जब आप लिखते हैं तो आपको एहसास होता है कि आप किसी चीज को लेकर ज्यादा चिंता कर रहे हैं। कभी आपको एहसास होता है कि गलत चीज के बारे में ज्यादा सोच रहे हैं।

लिखना सुधरेगा

  • अगर आप अपनी लेखनी सुधारना चाहते हैं तो इससे बेहतर दूसरा तरीका नहीं हो सकता। आप कहानी कहने के आर्ट की प्रैक्टिस कर सकते हैं। आप कम, लेकिन असरदार शब्द कहने की प्रैक्टिस कर सकते हैं। नतीजा यह होगा कि आप दूसरों को ज्यादा दिलचस्प कहानी सुना पाएंगे। इसके अलावा आप जो भी लिखते हैं, उसे दोबारा लिखने की अभ्यास कर पाएंगे। जैसा कि आप जॉगिंग के जरिए स्टैमिना को बढ़ाते हैं। केवल 10 मिनट लिखने से भी चीजें बेहतर होंगी।

ऐसे करें शुरुआत

  • धीमी शुरुआत करें। केवल अपने कामों के बारे में एक या दो लाइनें लिखें। याद रखें कि आपको रोज लिखने की जरूरत नहीं है। हर दिन के बारे में कुछ न कुछ जरूर लिखें। अगर आपके पास उस दिन लिखने का वक्त नहीं है तो जो कुछ हुआ है, उसे लेकर कुछ शब्द याद कर लें, ताकि जब आप लिखने बैठें तो चीजें याद आने लगें। हर रोज के बारे में चैप्टर लिखने की जरूरत नहीं है। आप जानते हैं कि कब ज्यादा लिखना है।

अब सवाल लिखें या टाइप करें?

  • कुछ जर्नल लिखने वाले हाथ से लिखना पसंद करते हैं, क्योंकि इससे उनकी सोच ज्यादा वास्तविक लगती है। कंप्यूटर पर लिखने के अपने फायदे हैं। आपको डॉक्यूमेंट को काटना नहीं होगा, किसी भी चीज को आराम से सर्च कर पाएंगे। इसके लिए वर्ड या गूगल डॉक्यूमेंट बेहतर ऑप्शन रहेंगे। इन्हें सेव करना और बैकअप लेना न भूलें।
  • कई जर्नल लिखने वाले ऐसी ऐप्स को पसंद करते हैं जो उन्हें फोटो, वीडियो, ऑडियो रिकॉर्डिंग्स और स्कैच जोड़ने का मौका देती है। आप लिखने के बजाए डिक्टेट भी कर सकते हैं। ध्यान रखें कि फोटो, रिकॉर्डिंग्स आपको लिखने से भटका सकती हैं। इससे आपका जर्नल अजीब लग सकता है। ऐसे में फोकस रहने के लिए केवल शब्दों से शुरुआत करें।

सपने देखें

  • हर एंट्री में खुद को परेशान करना भी आपकी मदद करेगा। बुरे वक्त में खुद को अच्छा पहचानने के लिए मजबूर करें और जो कहना चाहते हैं कहें। आपको जो पसंद है, सपने देखना और इसे पूरा कैसे करना है, इस बारे में कह देना अच्छा होता है।

भविष्य के लिए लिखें

  • कई जर्नल लिखने वाले प्राइवेसी चाहते हैं। जबकि कुछ उम्मीद करते हैं कि उनके मरने के बाद भी लंबे समय तक उनका लिखा पढ़ा जाए। शायद उन शोधकर्ताओं के लिए जो 21वीं सदी में जीवन को लेकर स्टडी कर रहे हैं और यह जानना चाहते हैं कि हम क्या महसूस कर रहे हैं।
  • अगर आप आशावादी हैं, और सोचते है कि दुनिया अगले कुछ सालों में अपने आप खत्म नहीं होगी, तो अपने जर्नल्स को किसी इंस्टीट्यूट को देने के बारे में सोचें। इसमें उपयोग के संबंध में निर्देश भी लिख दें। इसके बाद आपके शब्द आपको जिंदा रखेंगे।


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Journal writing works to reduce stress and anxiety, journal writing will be able to save memories better; Stylus will keep you alive even after you die


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Latest hindi and english news

कोरोनावायरस के बीच टेनिस ग्रैंड स्लैम यूएस ओपन आज से अमेरिका के न्यूयॉर्क में खेला जाएगा। टूर्नामेंट बगैर दर्शकों के होगा। यूरोप, दक्षिण अमेरिका और पश्चिम एशिया से खिलाड़ियों को चार्टर्ड प्लेन से न्यूयॉर्क लाया जाएगा। इस बार सबसे ज्यादा 20 ग्रैंड स्लैम विजेता स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और दूसरे 19 ग्रैंड स्लैम चैम्पियन स्पेन के राफेल नडाल नहीं खेलेंगे। ऐसा 21 साल में पहली बार होगा, जब यह दोनों दिग्गज टूर्नामेंट नहीं खेलेंगे।

उनकी गैरमौजूदगी में सर्बिया के वर्ल्ड नंबर-1 नोवाक जोकोविच के पास 18वां ग्रैंड स्लैम जीतने का मौका है। फेडरर ने 1999 और नडाल ने 2003 में पहली बार यूएस ओपन खेला था। यूएस ओपन खिताब की बात करें, तो फेडरर ने पहला खिताब 2004 और नडाल ने 2010 में जीता था।

महेश भूपति ने 1999 में भारत को पहला खिताब दिलाया था
वहीं, टूर्नामेंट में भारतीय एंगल की बात करें, तो 5 साल से कोई इंडियन चैम्पियन नहीं बन सका है। भारत के लिए पिछली बार 2015 में लिएंडर पेस ने मिक्स्ड डबल्स में खिताब जीता था। भारत के लिए पहली बार महेश भूपति ने 1999 में मिक्स्ड डबल्स में जापान की आई सुगियामा के साथ यूएस ओपन खिताब जीता था।

इसके बाद लिएंडर पेस 2006 में मेन्स डबल्स स्पर्धा में चेक गणराज्य के मार्टिन डैम के साथ खेलते हुए चैम्पियन बने थे। भारत के लिए तीसरी चैम्पियन सानिया मिर्जा थीं। उन्होंने 2014 में मिक्स्ड डबल्स स्पर्धा में ब्राजील के ब्रूनो सोआरेस के साथ फाइनल जीता था। 140 साल के इतिहास में अब तक तीन भारतीय खिलाड़ियों ने कुल 10 खिताब जीते।

भारतीय टेनिस स्टार सुमित नागल को इस बार ग्रैंड स्लैम यूएस ओपन में सीधे इंट्री मिली है।

भारत की ओर से सुमित नागल दूसरी बार टूर्नामेंट में उतर रहे हैं। उनका पहला मुकाबला 1 सितंबर को मेन्स सिंगल्स में अमेरिका के ब्रेडली क्लान से होगा। युवा भारतीय टेनिस स्टार नागल को इस बार ग्रैंड स्लैम यूएस ओपन में सीधे इंट्री मिली है। वे पहली बार सीधे मेन ड्रॉ में खेलेंगे। पिछली बार वे क्वालिफाई करके पहुंचे थे। तब सुमित पहले ही राउंड में उनके ड्रीम प्लेयर रोजर फेडरर से हारे थे।

वुमन्स और मेन्स सिंगल्स के डिफेंडिंग चैम्पियन नहीं खेलेंगे

कोरोना के कारण मेन्स सिंगल्स के डिफेंडिंग चैम्पियन नडाल और वुमन्स में कनाडा की बियांका एंद्रेस्कू टूर्नामेंट में नहीं खेलेंगे। बियांका ने पिछली बार फाइनल में अमेरिका की सेरेना विलियम्स को हराकर खिताब जीता था। वहीं, नडाल ने रूस के दानिल मेदवेदेव को हराकर चौथी बार खिताब जीता था।

वर्ल्ड रैंकिंग में टॉप-8 की 6 महिला खिलाड़ी भी नहीं खेलेंगी
वहीं, वर्ल्ड रैंकिंग में टॉप-2 महिला खिलाड़ी पहले ही नाम वापस ले चुकी हैं। वर्ल्ड नंबर-1 एश्ले बार्टी, रोमानिया की वर्ल्ड नंबर-2 सिमोना हालेप, नंबर-5 एलिना स्वितोलिना, नंबर-6 बियांका एंद्रेस्कू, नंबर-7 किकि बेर्टेंस और नंबर-8 बेलिंडा बेंसिस।

टूर्नामेंट में इन दिग्गजों पर नजर
नडाल और फेडरर के हटने के बाद जोकोविच को सिर्फ रूस के डेनिल मेदवेदेव, ऑस्ट्रिया के डोमिनिक थिएम और ग्रीस के स्टिफनोस सितसिपास से टक्कर मिल सकती है। वहीं, महिलाओं में वर्ल्ड नंबर-9 सेरेना विलियम्स को नंबर-10 नाओमी ओसाका, नंबर-4 सोफिया केनिन और नंबर-3 कैरोलिना प्लिस्कोवा कड़ी चुनौती देंगी। केनिन ने इस साल ऑस्ट्रेलियन ओपन भी जीता था।

जोकोविच सबसे ज्यादा ग्रैंड स्लैम विजेता के मामले में तीसरे नंबर पर

खिलाड़ी देश ग्रैंड स्लैम जीते कुल
रोजर फेडरर स्विट्जरलैंड 5 यूएस ओपन, 8 विंबलडन, 6 ऑस्ट्रेलियन और 1 फ्रेंच ओपन 20
राफेल नडाल स्पेन 4 यूएस ओपन, 12 फ्रेंच ओपन, 1 ऑस्ट्रेलियन और 2 विंबलडन 19
नोवाक जोकोविच सर्बिया 3 यूएस ओपन, 8 ऑस्ट्रेलियन ओपन, 5 विंबलडन और 1 फ्रेंच ओपन 17

1881 में पहली बार खेला गया था टूर्नामेंट
पहली बार यह टूर्नामेंट 1881 में खेला गया था। तब मेन्स सिंगल्स और डबल्स के मुकाबले खेले गए थे। 1887 में पहली बार महिला सिंगल्स और 1889 डबल्स के मुकाबले शुरू हुए। इसके बाद 1892 में मिक्स्ड डबल्स की शुरुआत हुई। पहले इसे यूएस टेनिस टूर्नामेंट के नाम से जाना जाता था। इसके बाद 1968 में इसका नाम यूएस ओपन पड़ा।



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US Open Schedule 2020 News Updates Rafael Nadal Roger Federer without Tennis Grand Slam Novak Djokovic Serena Williams Latest Updates


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Price of plastic carrier bags to double to 10p next yearbuisness news

The fee for single-use bags will rise to 10p and be extended to all shops from April 2021.

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बनारस में कोयला बाजार के पास हसनपुरा नाम की एक बस्ती है। बेहद संकरी गलियों और खुली हुई नालियों वाली इस बस्ती में बुनकर समुदाय के हजारों परिवार रहते हैं। मोहम्मद अखलाक का परिवार भी इनमें से एक है। अखलाक उन चुनिंदा बुनकरों में से हैं जो आज भी हथकरघे यानी हैंडलूम के इस्तेमाल से बनारस की पहचान कहलाने वाली मशहूर बनारसी साड़ी बनाते हैं।

एक दौर था जब बनारस की गली-गली में हुनरमंद बुनकरों के हथकरघों की आवाज गूंजा करती थी। लेकिन वक्त के साथ हथकरघों की वह आवाज पावरलूम के शोर में कहीं खो गई। आज हालत ये है कि हसनपुरा में रहने वाले करीब दो हजार बुनकरों में से अखलाक जैसे बमुश्किल 10-12 बुनकर ही बचे हैं, जो अब भी हैंडलूम का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस मोहल्ले के बाकी सभी बुनकर हैंडलूम को छोड़कर पावरलूम अपना चुके हैं। पूरे बनारस की बात करें तो बुनकरों की कुल आबादी में से दस फीसदी ही अब ऐसे हैं जो हैंडलूम चलाते हैं।

हसनपुरा में रहने वाले करीब दो हजार बुनकरों में से 10-12 बुनकर ही बचे हैं, जो अब भी हैंडलूम का इस्तेमाल कर रहे हैं।

हाथ से बनी जिस बनारसी साड़ी की कीमत हजारों और लाखों रुपए तक होती है, जिसे पहनने की हसरत बड़ी-बड़ी फिल्मी अभिनेत्रियों को होती है, जिस साड़ी की चर्चा देश के सबसे बड़े अमीर घरानों में होने वाली शादियों में भी होती है, उसे बनाने वाले बुनकर लगातार हैंडलूम से दूर क्यों होते जा रहे हैं?

इस सवाल के जवाब में मोहम्मद अखलाक कहते हैं, ‘हैंडलूम पर एक साड़ी दस से बीस दिनों में तैयार होती है, जबकि पावरलूम में एक दिन में तीन साड़ियां तैयार हो जाती हैं। दूसरा, हैंडलूम पर बनी एक साड़ी की कीमत कम से कम दस हजार रुपए होती है, जबकि पावरलूम पर वैसी ही साड़ी सिर्फ तीन सौ रुपए में बन जाती है। हालांकि, पावरलूम पर साड़ियां नकली रेशम की होती है और कारीगरी में भी इनकी हैंडलूम की साड़ी से कोई तुलना नहीं हो सकती, लेकिन इतनी बारीक नजर कम ही लोग रखते हैं। ग्राहक को सस्ता माल दिखता है तो उसकी ही मांग ज्यादा होती है। बुनकर को तो सिर्फ मजदूरी मिलती है। हाथ से बनी महंगी साड़ियों पर भी उसे उतनी ही मजदूरी ही मिलती है जितनी पावरलूम की सस्ती साड़ियों पर।’

इस साड़ी को अखलाक ने मार्च में बनाना शुरू किया था। लेकिन लॉकडाउन ने उनके काम को इस हद तक प्रभावित किया कि वे अभी तक इसका काम पूरा नहीं कर सके हैं।

बनारस में बुनकरों के अधिकारों के लिए लगातार सक्रिय रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता मनीष शर्मा हैंडलूम के खत्म होते जाने के लिए सरकारों को भी जिम्मेदार ठहराते हैं। वे कहते हैं कि हैंडलूम जैसे लघु उद्योग को संरक्षण देना सरकार की जिम्मेदारी होती है। ये सिर्फ हुनर को बचाने का ही मामला नहीं है बल्कि रोजगार का भी सवाल है। देश की बड़ी आबादी लघु उद्योगों पर ही निर्भर है।

मनीष कहते हैं, ‘अटल बिहारी के प्रधानमंत्री रहते हैंडलूम की कमर टूटना शुरू हुआ। उस दौर में 1400 ऐसे उत्पादों को बनाने की अनुमति बड़े पूंजीपतियों को दे दी गई जो पहले तक सिर्फ लघु उद्योग में ही बनाए जा सकते थे। हैंडलूम पर बनने वाली बनारसी साड़ी भी इनमें से एक थी। इस फैसले के साथ ही ये काम पावरलूम पर होने लगा। इससे साड़ियों का प्रोडक्शन तो बढ़ गया, लेकिन हैंडलूम का हुनर जानने वाले लाखों बुनकर अपना पुश्तैनी काम छोड़ने पर मजबूर हो गए। जो गिने-चुने बुनकर अब भी ये काम कर रहे हैं उनकी स्थिति भी बेहद चिंताजनक बन पड़ी है।’

मोहम्मद अखलाक जैसे बुनकर जो अब भी हैंडलूम का काम कर रहे हैं वे आज किस स्थिति में हैं? यह सवाल करने पर अखलाक कोई जवाब नहीं देते और चुपचाप अपने उस कमरे का दरवाजा खोल देते हैं जहां उनके हैंडलूम रखे हुए हैं। ये कमरा ही सारे सवालों का जवाब दे रहा है। धूल की चादर ओढ़े तीन हथकरघे यहां सुस्ता रहे हैं, जिन पर मकड़ियों के जाल बन गए हैं। आधी बनी हुई एक साड़ी अब भी एक हथकरघे से लिपटी हुई है जिसे अखलाक ने मार्च में बनाना शुरू किया था। लेकिन लॉकडाउन ने उनके काम को इस हद तक प्रभावित किया कि इस अधूरी साड़ी को पूरा करने भर का ताना-बाना भी वो जुटा नहीं सके।

बनारस में काम करने वाले बुनकरों की एक बड़ी आबादी हैंडलूम छोड़कर पावरलूम अपना रही है। क्योंकि पावरलूम पर बनी साड़ियों की कीमत कम होती है और इन्हें बनाने में वक्त भी कम लगता है।

बहुत से लोगों को यह जानकारी शायद न हो कि ‘ताना-बाना’ शब्द असल में हथकरघे से ही निकला है। इस करघे पर रेशम के जो धागे सीधे और तने हुए लगते हैं उन्हें ताना कहा जाता है और जो धागे इन्हें आपस में बुनते हैं उन्हें बाना कहा जाता है। ताना और बाना जब आपस में सटीक बुनावट में बैठते हैं तो ही एक मजबूत साड़ी या कपड़ा तैयार होता है। हथकरघे से निकल कर ‘ताना-बाना’ शब्द तो मुहावरा तक बन गया, लेकिन असल में हथकरघा चलाने वालों का पूरा ताना-बाना ही लगभग बिखर चुका है।

बीते बीस सालों में बुनकरों की एक बड़ी आबादी यह काम हमेशा के लिए छोड़ चुकी है और मामूली मजदूरी करने को मजबूर हो गई है। एक बड़ी आबादी ऐसी भी है जिसने हैंडलूम छोड़कर पावरलूम अपना लिए। लेकिन अब इन लोगों पर भी अस्तित्व का संकट आ गया है। लॉकडाउन ने पहले ही बुनकरों की हालात बेहद खराब कर रखी है, ऊपर से उत्तर प्रदेश सरकार ने बुनकरों को मिलने वाली बिजली सब्सिडी समाप्त करने का फैसला कर लिया है। मनीष शर्मा कहते हैं, ‘अगर सब्सिडी खत्म हो गई तो तय मानिए कि बुनकर समुदाय हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।’

अपना बुनकर कार्ड दिखाते अबुल हसन। इनके पास 7 पावरलूम हैं। मार्च से ही इनकी बिजली काट ली गई है तब से इनका काम ठप पड़ा है।

कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार बनारस में आज करीब सवा चार लाख बुनकर हैं। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए साल 2005 में बुनकरों को बिजली में छूट मिलना शुरू हुआ था। ये वही दौर था जब पावरलूम तेजी से हैंडलूम को पछाड़ रहे थे और बुनकर एक-एक कर पावरलूम अपना रहे थे। बनारस के बुनकर बाहुल्य जैतपुरा में रहने वाले अबुल हसन बताते हैं, ‘बुनकरों के लिए बिजली का एक फ्लैट रेट तय था।

शुरुआत में ये रेट एक मशीन का 65 रुपए प्रति माह था। बीच-बीच में ये बढ़ता भी रहा और आज लगभग 150 रुपए प्रति माह है। लेकिन अब सरकार का कहना है कि बीती जनवरी से ही सभी बुनकरों को बिजली का बिल यूनिट के हिसाब से देना होगा और करीब 7 रुपए एक यूनिट का रेट होगा। अगर सरकार ये फैसला वापस नहीं लेती तो हमें ये काम छोड़ना पड़ेगा।’

अबुल हसन के पास कुल सात पावरलूम हैं। इनका जनवरी से लेकर मार्च तक का बिजली का बिल सवा लाख रुपए आया है और मार्च से ही इनकी बिजली कटी हुई है। अबुल बताते हैं, ‘जिस दिन देश भर में जनता कर्फ्यू लगा था, उसके अगले ही दिन मेरी बिजली काट ली गई थी। उसी दिन से सारा काम ठप पड़ा हुआ है।’

अनीर-उर-रहमान के पास अपने सात पावरलूम हैं लेकिन सभी पूरी तरह से बंद पड़े हैं। घर का खर्च चलाने के लिए वे अपने कारखाने के दरवाजे पर पान की दुकान लगा रहे हैं।

बनारस की जिन गलियों से पूरा दिन पावरलूम की आवाजें उठती थीं, इन दिनों उन सभी गलियों में लगभग सन्नाटा पसरा हुआ मिलता है। इस सन्नाटे को तोड़ते कुछ पावरलूम अब भी चल रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है। कई बुनकरों की बिजली काट ली गई है और कई ऐसे हैं जिनके यहां बिजली का बिल दो से तीन लाख रुपए तक आया है। महीने का ज्यादा से ज्यादा 25-30 हजार कमाने वाले बड़े बुनकर भी इतना भारी बिल कैसे चुकाएंगे, वह भी तब जब पिछले कई महीनों से काम बंद पड़ा है, ये लोग खुद भी नहीं जानते।

बाकराबाद के रहने वाले बुनकर अनीर-उर-रहमान के पास अपने सात पावरलूम हैं लेकिन सभी पूरी तरह से बंद पड़े हैं। घर का खर्च चलाने के लिए अनीर अब अपने कारखाने के दरवाजे पर ही पान की दुकान लगाने लगे हैं। वे बताते हैं, ‘हमारे पास कच्चा माल खरीदने का भी पैसा नहीं है। लॉकडाउन के समय से ही काम पूरी तरह बंद है। अब बिजली का जो रेट तय हुआ है उसके बाद तो इस धंधे में मजदूरी भी नहीं निकलेगी। ये सारी पावरलूम मशीनें हमें कबाड़ के भाव बेचनी पड़ेंगी, अगर बिजली बिल पर सरकार ने फैसला वापस नहीं लिया।’

सरकार ने बिजली की जो नई दरें तय की हैं, उनके अनुसार भुगतान बुनकरों ने अब तक नहीं किया है। स्थानीय बुनकर नोमान अहमद कहते हैं कि बुनकरों के लिए ये भुगतान करना मुमकिन भी नहीं है। वे बताते हैं, ‘जिस बुनकर के पास एक पावरलूम है वह पूरे महीने में ज्यादा से ज्यादा 6-7 हजार रुपए बचा पाता है। वो भी तब जब वो अपने पावरलूम पर मजदूरी भी खुद करता है। अब अगर नई दरों से बिजली का बिल देना होगा, तो एक पावरलूम का महीने का बिल ही करीब चार हजार रुपए आएगा। ऐसे में बुनकर कैसे जिंदा रह पाएगा।’

बनारसी साड़ी पर बनने वाला डिजाइन तैयार करते शोएब। ये लोग भी पीढ़ियों से मशहूर बनारसी डिजाइन बनाने का काम करते आ रहे हैं।

बुनकर समाज में सिर्फ वे ही लोग शामिल नहीं हैं जो बनारसी साड़ी या दुपट्टे बनाने का काम करते हैं। कई अलग-अलग तरह के लोग इस समाज का हिस्सा हैं जो पूरी-तरह से एक दूसरे पर निर्भर हैं। मसलन, साड़ियों पर डिजाइन बनाने वाले अलग हैं जिन्हें नक्शेबंद कहा जाता है। ये लोग भी पीढ़ियों से मशहूर बनारसी डिजाइन बनाने का काम करते आ रहे हैं।

इनके अलावा वे लोग हैं जिन्होंने अपने पूर्वजों से नक्शेबंद के बनाए गए डिजाइन को उस गत्ते पर उतारने का हुनर विरासत में लिया है जो हैंडलूम पर चढ़ता है और जिससे यह डिजाइन साड़ियों पर उतरता है। फिर रेशम पर रंग चढ़ाने वाले अलग हैं, ताना-बाना बेचने वाले अलग और हैंडलूम खराब होने पर उसकी मरम्मत करने वाले अलग। इस सबके बाद गद्दीदार अलग हैं जो बुनकरों के माल को खरीद कर आम ग्राहक तक पहुंचाते हैं। ये सब लोग ही बनारसी साड़ी तैयार करने वाले समाज का ताना-बाना कहे जा सकते हैं। ये पूरा समाज ही आज अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है।

बनारस में आज करीब सवा चार लाख बुनकर हैं। इनमें से अब दस फीसदी ही ऐसे हैं जो हैंडलूम चलाते हैं।

मनीष शर्मा कहते हैं, ‘पहले नियोजित तरीके से हैंडलूम खत्म किए गए। हथकरघे अब बहुत खोजने से ही कहीं मिलते हैं। अब बड़े पूंजीपतियों के हित साधने के लिए पावरलूम को भी खत्म किया जा रहा है। ये फैसला एक झटके में सिर्फ लाखों बुनकरों को ही हमेशा के लिए खत्म नहीं करेगा बल्कि सदियों पुरानी बनारस की पहचान को ही हमेशा के लिए मिटा देगा। एक पूरी संस्कृति आज विलुप्त हो जाने के मुहाने पर खड़ी है और अगर जनता ने बुनकरों की आवाज नहीं उठाई तो बनारस के बुनकर सिर्फ इतिहास में पढ़ाए जाएंगे।’



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Work stopped since public curfew; Spiders have made nets on handlooms, many weavers have been cut off, some have got a bill of two lakh rupees


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Latest hindi and english news

इन दिनों सोशल मीडिया पर एक एंटरटेनिंग वीडियो, जो किसी को चिढ़ाने के लिए या किसी को हंसाने के लिए खूब शेयर हो रहा है। कॉमन मैन हो या सेलिब्रिटी, हर कोई इस वीडियो को शेयर कर रहा है। ये वीडियो है रसोड़े में कौन था...24 साल के एक म्यूजिशियन ने एक टीवी सीरियल के इस डायलॉग को लेकर म्यूजिक और बीट पर काम किया और ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

यह एक नया जोनर है, म्यूजिक की भाषा में इस तरह के वीडियो को डायलॉग्स विद बीट्स या रैप वीडियो कहते हैं। इस वायरल वीडियो को कंपोज किया है औरंगाबाद के रहने वाले यशराज मुखाते ने। इस वीडियो के बाद यशराज अब सोशल मीडिया स्टार बन चुके हैं। वायरल वीडियो के क्रिएशन से लेकर अपनी लाइफ के बारे में यशराज ने भास्कर से बातचीत की।

रसोड़े में कौन था?’ बरसों पहले ‘स्टार प्लस’ पर आने वाले सीरियल ‘साथ निभाना साथिया’ का ये डायलॉग सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। वीडियो को गाने का फॉर्म देने वाले ऑनलाइन क्रिएटर यशराज मुखाते रातों-रात सोशल मीडिया स्टार बन गए हैं।

यशराज ने बताया कि रसोड़े में कौन था...इस एक डायलॉग ने उनकी जिंदगी बदल दी। 20 अगस्त की शाम को जब यह वीडियो अपलोड किया, उस वक्त इंस्टाग्राम पर 25 हजार फॉलोवर थे, अब एक हफ्ते के अंदर सात लाख से ज्यादा हो चुके हैं। वहीं यूट्यूब के सब्सक्राइबर भी 10 हजार से बढ़कर अब 10 लाख के पार हो गए हैं।

कंटेट पर जब मीम्स बनने लगे तो समझो वो सही मायने में वायरल हुआ है

यशराज बताते हैं कि रसोड़े में कौन था...बनाते समय मैंने सोचा नहीं था कि ये इतना वायरल हो जाएगा। एक दिन फेसबुक पर स्क्रॉल करते हुए मैंने ये वीडियो देखा। मुझे समझ में आया कि इस किरदार के डायलॉग में सुर और रिदम है। उनके इस तरीके ने मुझे इंस्पायर किया, इसके बाद मैंने इसमें म्यूजिक और हार्मोनी डाली।

यशराज ने बताया कि मेरे दोस्तों ने कहा कि ये वीडियो उतना खास नहीं है, क्योंकि हम तेरे काम को जानते हैं और पहले से सुनते आ रहे हैं। पता नहीं लोगों को इसमें क्या अच्छा लग गया। लेकिन, मुझे लगता है कि लोग इन किरदारों से बहुत जुड़े हुए हैं, इसलिए लोगों ने इससे ज्यादा रिलेट किया।

यशराज कहते हैं कि वीडियो शेयर होने के बाद बड़े-बड़े सेलेब्स, पॉलिटिशियन ने तो शेयर किया ही, लेकिन जब इस पर मीम्स बनने लगे तो असल मायने में तब समझ में आया कि ये वायरल हुआ है।​ क्योंकि किसी भी कंटेट पर जब मीम्स बनने लगे तो समझो वो कंटेंट यंगस्टर्स तक पहुंचा है और सही मायने में वायरल हुआ है।

यशराज ने 20 अगस्त की शाम को यह वीडियो अपलोड किया उस वक्त इंस्टाग्राम पर 25 हजार फॉलोवर थे, उसके बाद एक हफ्ते के अंदर सात लाख से ज्यादा हो गए।

कोकिलाबेन का कॉल आया तो मुझे लगा कि डांटने के लिए कॉल किया है

यशराज बताते हैं कि “इस वीडियो के बाद मुझे कोकिलाबेन का किरदार निभाने वालीं रूपल जी का कॉल आया। जब उन्होंने बताया कि वो कोकिलाबेन बोल रही हैं तो मुझे लगा कि उन्होंने मुझे डांटने के लिए कॉल किया है, लेकिन उन्होंने मेरे काम को बहुत एप्रिशिएट किया। उन्होंने कहा कि तुमने सही मायने में मेरे डिक्शन को पकड़ा है।

यशराज ने बताया कि मैं अनुराग कश्यप का बचपन से ही फैन हूं। उन्होंने मेरा काम देखकर मुझे मैसेज किया और कहा कि कभी स्टूडियो मिलने आओ, साथ में कुछ करते हैं। ये मेरे लिए अब तक का सबसे मोटिवेशनल कमेंट था।”

बॉलीवुड म्यूजिक डायरेक्टर और सिंगर अमित त्रिवेदी के साथ यशराज।

अमित त्रिवेदी को भगवान मानता हूं, उनके रिएक्शन का इंतजार है

यशराज कहते हैं कि “मुझे बॉलीवुड म्यूजिक डायरेक्टर और सिंगर अमित त्रिवेदी के रिएक्शन का इंतजार है। मैं उनको अपना भगवान मानता हूं, मैं चाहता हूं कि उन तक यह वीडियो पहुंचे। अगर उन्होंने इस वीडियो को शेयर किया या इस पर कोई कमेंट ​किया तो मेरा अब तक का म्यूजिक बनाना सार्थक हो जाएगा।”

यशराज 2016 में इंडियन आइडल में ऑडिशन देने गए थे लेकिन उन्हें पहले ही राउंड में बाहर होना पड़ा था।

इंडियन आइडल में गया था, गाने का पहला शब्द सुनते ही मुझे रिजेक्ट कर दिया

यशराज ने बताया “मैं साल 2016 में पापा के कहने पर इंडियन आइडल में ऑडिशन देने गया था। वहां स्टूडियो राउंड से पहले भी तीन राउंड होते हैं। उसके फर्स्ट राउंड में ही मुझे बाहर कर दिया। दरअसल, वहां प्रोडक्शन हाउस के टीम मेंबर्स, 10 लोगों को एक साथ खड़ा करके गाना गाने को कहते हैं। जब मेरा नंबर आया तो मैंने ‘रॉय’ फिल्म का ‘तू है कि नहीं...’ गाना शुरू किया।

मैंने गाने का पहला शब्द ‘तुझसे ही…’ गाया कि टीम ने मुझे बाहर जाने को कह दिया, उन्होंने मेरी पूरी आवाज तक नहीं सुनी थी। उन्होंने कहा कि नेक्स्ट टाइम ट्राय करना। मुझे समझ ही नहीं आया कि ये मेरे साथ क्या हुआ। क्योंकि मैं उसी गाने पर पहले कई कॉम्पिटिशन जीत चुका था। इस ऑडिशन के बाद मैंने सोच लिया था कि मुझे सि​गिंग पर नहीं अपने बाकी स्किल पर फोकस करना है। ​हालांकि, बाद में जब मैंने अपने गाने बनाए तो लोगों को मेरी आवाज भी काफी पसंद आई।”

यशराज के पापा भी म्यूजिशियन हैं, मां कपड़ों का कारोबार करती हैं,एक शादीशुदा बहन भी हैं जो आर्किटेक्ट हैं।

मां के कहने पर इलेक्ट्रॉनिक एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया

यशराज ने साल 2010 में अपनी स्कूलिंग औरंगाबाद के होली क्रॉस स्कूल से पूरी की और उसके बाद औरंगाबाद के एमआईटी कॉलेज से पॉलिटेक्निक की। इसके बाद यशराज ने पुणे के सिंहगढ़ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। इस बीच म्यूजिक भी चलता रहा।

यशराज कहते हैं कि उन्हें इंजीनियरिंग में कोई खास इंट्रेस्ट नहीं था, लेकिन मां ने कहा कि करियर सिक्योरिटी के लिहाज से एक डिग्री तो कर ले, उसके बाद जो चाहे कर लेना। साल 2017 में वो इंजीनियरिंग के बाद पूरी तरह से म्यूजिक में आ गए। शुरुआत में वो लोगों के गाए हुए गानों के कवर्स बनाते थे। धीरे-धीरे उनके काम को इंटरनेट पर देखकर लोगों ने अप्रोच करना शुरू किया।

यशराज ने अपना पहला पियानो कवर इंग्लिश सॉन्ग ‘वेक मी अप...’ का बनाया। यह यूट्यूब पर उनका पहला वीडियो था। इसके बाद फिर मोहब्बत गाने का पियानो कवर बनाया। फिर खुद कवर सॉन्ग गाने लगे। पहला कवर सॉन्ग चन्ना मेरेया गाया।

यशराज ने बताया कि इंजीनियरिंग के बाद वो म्यूजिक में अपना करियर बनाने मुंबई भी पहुंचे, लेकिन दो महीनों में ही उन्हें वापस औरंगाबाद लौटना पड़ा। इसके बाद उनके पिता ने उन्हें घर के पार्किंग एरिया में करीब 9 लाख रुपए की लागत से म्यूजिक स्टूडियो बनवाकर दिया।

बॉलीवुड म्यूजिक डायरेक्टर सलीम मर्चेंट के साथ यशराज। सलीम ने इनके काम की सराहना की थी।

मौला मेरे…गाने का एकापेला वर्जन सलीम मर्चेंट ने शेयर किया

यशराज कहते हैं, “साल 2018 में मैंने एकापेला वर्जन में ‘मौला मेरे ले ले मेरी जान…’ गाना बनाकर अपलोड किया था। एकापेला यानी ऐसा गाना जिसमें किसी भी म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल नहीं किया जाता पूरा म्यूजिक मुंह से, ताली से ही क्रिएट करते हैं। इस गाने को बॉलीवुड म्यूजिक डायरेक्टर सलीम मर्चेंट ने सोशल मीडिया पर देखा और अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया। ​

इसके बाद मैंने उन्हें मैसेज करके पूछा कि क्या मैं आपसे मिलने आपके स्टूडियो आ सकता हूं। उन्होंने हां कहा और मैं मुम्बई गया। वहां उन्होंने मुझे पूरा स्टूडियो दिखाया, मैंने वहां सभी टेक्नीकल प्वाइंट्स को देखा। मैंने कहा कि अगर आपको कोई असिस्टेंट चाहिए तो मैं कर सकता हूं। उन्होंने कहा कि तुम खुद बेहतर गाने कंपोज कर सकते हो, इस बात से मुझे मोटीवेशन मिला। इसके बाद मैं अब तक अपने खुद के छह गाने बना चुका हूं।”

यशराज ने साल 2010 में अपनी स्कूलिंग औरंगाबाद के होली क्रॉस स्कूल से पूरी की और पुणे के सिंहगढ़ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन किया है।

म्यूजिक मेरे जीन में है, पापा भी म्यूजिशियन हैं

यशराज बताते हैं कि म्यूजिक उनके जीन में है, पापा भी म्यूजिशियन हैं, थोड़ा म्यूजिक पापा से मिला और थोड़ा प्रैक्टिस करके इंटरनेट से सीखा है। उन्होंने अपना पहला स्टेज शो अपने पिता के साथ तीन साल की उम्र में किया था। स्कूल और कॉलेज में भी यशराज ने म्यूजिक में अवार्ड हासिल किए।

यशराज ने बताया कि अभी वो फ्रीलांसिंग म्यूजिक प्रोडक्शन करते हैं और विज्ञापन, जिंगल्स, वॉइस ओवर और गाने बनाते हैं। यशराज के पिता एक संगीतकार होने के साथ-साथ प्रॉपर्टी बिल्डर भी हैं। उनकी मां कपड़ों का कारोबार करती हैं, यशराज की एक शादीशुदा बहन भी हैं जो आर्किटेक्ट हैं।



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यशराज ने बताया कि रसोड़े में कौन था... ने उनकी ज़िंदगी बदल दी। एक हफ्ते में इंस्टाग्राम पर सात लाख फॉलोअर, यूट्यूब पर 1 मिलियन सब्सक्राइबर हो गए हैं।


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फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जब भारत आए थे, तब सबसे ज्यादा चर्चा उनकी कार और उनके विमान को लेकर हुई थी। ट्रम्प जिस विमान से यात्रा करते हैं, वो एयरफोर्स वन है। इसे दुनिया का सबसे सुरक्षित विमान माना जाता है। अब यही विमान भारत आने वाला है। ये बोइंग 777-300 ईआर है, जिसे अमेरिकी कंपनी बोइंग ने तैयार किया है।

भारत ने वीवीआईपी के लिए ऐसे तीन विमान खरीदे हैं, जिनमें से एक इसी हफ्ते आने वाला है। भारत में सिर्फ तीन ही लोग हैं, जो वीवीआईपी हैं। पहले हैं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, दूसरे हैं उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और तीसरे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

दिल्ली में पालम एयरपोर्ट पर एयरफोर्स की एक स्क्वाड्रन है, जिसे एयर हेडक्वार्टर कम्युनिकेशन स्क्वाड्रन या वीवीआईपी स्क्वाड्रन भी कहते हैं। इसी स्क्वाड्रन में वही विमान शामिल होते हैं, जो वीवीआईपी को अंतर्राष्ट्रीय दौरे पर ले जाते हैं।

वीवीआईपी स्क्वाड्रन क्या है? इसमें कौन-कौन से विमान हैं? एयरफोर्स वन की खासियत क्या है? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानिए रिटायर्ड एयर मार्शल अनिल चोपड़ा से...

1. क्या है वीवीआईपी स्क्वाड्रन?
1 नवंबर 1947 को पालम एयरपोर्ट पर एयरफोर्स स्टेशन बना था। उस समय उसमें डकोटा डीसी-3, डेवोन, आईएल-14, विस्काउंट, एव्रो एचएच-748, एल-1049 सुपर कॉन्स्टेलेशन, टीयू-124के, बोइंग 737, एमआई-4 और एमआई-8 जैसे विमान थे। फिलहाल, इसमें तीन बोइंग बिजनेस जेट, 4 एम्ब्रेयर-135 एयरक्राफ्ट और 6 एमआई-8 हेलीकॉप्टर हैं।

साथ-साथ इसमें बोइंग 747-400 एयरक्राफ्ट हैं, जिनसे वीवीआईपी इंटरनेशनल विजिट करते हैं। क्योंकि यहां वीवीआईपी की इंटरनेशनल विजिट के लिए विमान तैनात रहते हैं, इसलिए इसे वीवीआईपी स्क्वाड्रन भी कहा जाता है।

जब राष्ट्रपति किसी विदेश यात्रा पर जाते हैं, तो उसका खर्चा एयरफोर्स उठाती है। जबकि, उपराष्ट्रपति की विदेश यात्रा का खर्च विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा का खर्च पीएमओ उठाता है।

वीवीआईपी स्क्वाड्रन में शामिल विमानों की खासियत
1. एम्ब्रेयर 135 : 1800 मीटर के रनवे से ही टेकऑफ कर सकता है

  • एम्ब्रेयर 135 एक ट्विन-टर्बोफैन-इंजन जेट है। इसे ब्राजील की एयरोस्पेस कंपनी एम्ब्रेयर ने तैयार किया है। इस विमान को सितंबर 2005 में एव्रो के रिप्लेसमेंट के तौर पर वीवीआईपी स्क्वाड्रन में शामिल किया गया था।
  • इस विमान का वजन 22 हजार 570 किलो होता है और इसकी फ्यूल कैपेसिटी 8,300 किलो तक होती है। 10 यात्रियों के साथ ये 3,100 नॉटिकल माइल्स की स्पीड से उड़ सकता है।
  • इसमें एक 40 क्यूबिक मीटर का एक कैबिन है, जिसमें 12 यात्री बैठ सकते हैं। साथ ही एक वीआईपी कैबिन भी है, जिसमें 4 यात्री बैठ सकते हैं।
  • इस विमान की एक खासियत ये भी है कि ये 1800 मीटर के रनवे पर टेकऑफ और 1400 मीटर के रनवे पर लैंड कर सकता है। इसके अलावा ये विमान मिसाइल डिफ्लेक्टिंग सिस्टम, मॉडर्न फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम, ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम के साथ-साथ कैटेगरी-2 के इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम और अन्य नेविगेशन सिस्टम के साथ आता है।

2. बोइंग बिजनेस जेट : वीवीआईपी के लिए ऑफिस और बेडरूम भी

  • अमेरिकी कंपनी बोइंग का ये 737 सीरीज का विमान है। इस एयरक्राफ्ट में 25 से 50 यात्री बैठने की व्यवस्था होती है। एयरफोर्स के पास तीन विमान हैं। इनके नाम- राजदूत, राजहंस और राजकमल हैं। इनकी कीमत 93.4 अरब रुपए है, जिसमें 20 अरब रुपए का सेल्फ प्रोटेक्शन सूट यानी एसपीएस भी है। एसपीएस में रडार वार्निंग सिस्टम, मिसाइल एप्रोच वार्निंग और काउंटर मेजर सिस्टम शामिल है। अगर कोई राडार पर लेकर इस विमान पर मिसाइल मारता है तो ये विमान उस मिसाइल से खुद को दूर करने में सक्षम है।
  • इस विमान में वीवीआईपी के लिए एक ऑफिस और एक बेडरूम भी होता है। इस विमान में सफर करने वाले हर यात्री के पास कलर फोटो आइडेंटिटी होती है। इस विमान के फर्स्ट क्लास में ऑफिशियल डेलीगेशन बैठता है। जबकि, सुरक्षाकर्मी और अन्य कर्मचारी सामान्य क्लास में बैठते हैं। इस विमान का इस्तेमाल आमतौर पर डोमेस्टिक विजिट या फिर पडोसी देशों की यात्रा के लिए किया जाता है।

3. बोइंग 747-400 : 22 साल से मिल रही है इसकी सर्विस

  • ये भी अमेरिकी कंपनी बोइंग का बनाया विमान है, जो बोइंग 747 का एडवांस्ड वर्जन है। इसकी रेंज 1850 किमी है। ये फरवरी 1989 से कमर्शियल सर्विस में है। 1989 से 2009 तक ये बोइंग 747 फैमिली का बेस्ट सेलिंग एयरक्राफ्ट रहा है।
  • फिलहाल, एयर इंडिया के बेड़े में चार बोइंग 747-400 विमान हैं, जिनका इस्तेमाल वीवीआईपी के लिए किया जाता है। हालांकि, ये विमान सर्विस में 22 साल से हैं, इसलिए अब इनका ज्यादा इस्तेमाल भी नहीं होता। यही वजह है कि अब नए विमानों को खरीदा जा रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति के पास है एयरफोर्स वन

  • अमेरिकी राष्ट्रपति जिस विमान से सफर करते हैं, उसे एयरफोर्स वन कहा जाता है। 1943 में सोचा गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा के लिए एक खास विमान होना चाहिए। उस समय अमेरिकी सेना और एयरफोर्स ने एक सी-54 स्कायमास्टर को प्रेसिडेंशियल यूज के लिए तब्दील कर दिया। पहली बार फरवरी 1945 में उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलीन डी. रूजवेल्ट ने इस विमान से यात्रा की। उनके बाद के राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमेन ने भी 2 साल तक इसका इस्तेमाल किया।
  • 1953 में अमेरिकी कंपनी लॉकहीड ने 'कोलंबिन II' नाम से विमान तैयार किया, जिसमें पहली बार ड्वाइड डी आइजनहोवर ने यात्रा की। उसके बाद लॉकहीड ने 'कोलंबिन III' भी तैयार किया। 1960 और 70 के दशक में बोइंग ने दो विमान बोइंग 707 तैयार किए।
  • 1990 के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति के बेड़े में दो बोइंग VC-25As शामिल है, जो बोइंग 747-200बी का कस्टमाइज्ड वर्जन है। इसके बाद अमेरिकी एयरफोर्स ने दो बोइंग 747-8 का ऑर्डर दिया है, जो अगला एयरफोर्स वन होगा।

भारत को कैसे मिले बोइंग 777-300 ईआर?

  • काफी लंबे समय से नए विमानों की खरीद पर चर्चा चल रही थी। जरूरत ये भी महसूस की गई कि नए विमान टू-इंजन या फोर-इंजन होने चाहिए। सरकार ने बोइंग 747 को रिप्लेस करने के लिए बोइंग 777-300 ईआर को चुना।
  • 2006 में एयर इंडिया ने बोइंग को 68 विमानों का ऑर्डर दिया। इसमें 27 ड्रीमलाइनर, 15 बोइंग 777-300ईआर, 8 बोइंग 777-200 एलआर और 18 बोइंग 737-800 शामिल हैं।
  • 24 जनवरी 2018 को तीन बोइंग 777-300 ईआर भारत को मिल चुके हैं। इनमें से दो को वीवीआईपी मोडिफिकेशन के लिए दोबारा अमेरिका भेजा गया है।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति के एयरफोर्स वन की तर्ज पर बोइंग 777-300 ईआर का कमर्शियल इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया जाएगा। जैसे- इससे पहले बोइंग-747 विमानों का कमर्शियल यूज भी होता था और वीवीआईपी के लिए भी इनका इस्तेमाल होता था। डिफेंस मिनिस्ट्री बोइंग 777-300 ईआर को एयर इंडिया से खरीदेगी और सितंबर 2021 से इनका इस्तेमाल शुरू हो जाएगा।
  • एक बात और कि इन नए विमानों को एयरफोर्स के पायलट ही उड़ाएंगे, एयर इंडिया के नहीं। हालांकि, इन विमानों के रखरखाव की जिम्मेदारी एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेस लिमिटेड के पास होगी, जो एयर इंडिया की सब्सिडियरी है।
एयरफोर्स वन को मिलिट्री विमान की कैटेगरी में रखा गया है, क्योंकि ये किसी भी तरह का हवाई हमला तक झेल सकता है।

नए विमानों में क्या है खास?

  • नए बेड़े में सुरक्षा का सबसे ज्यादा ध्यान रखा गया है। नए एयरक्राफ्ट में इंटीग्रेटेड डिफेंसिव इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट (AIDEWS) है, जो प्लेन को इलेक्ट्रॉनिक खतरों से बचाता है। इन विमानों में लार्ज एयरक्राफ्ट इंफ्रारेड काउंटरमेजर्स (LAICRM) सेल्फ-प्रोटेक्शन सूट है, जो विमान की तरफ आने वाली मिसाइल को डिटेक्ट करने और उसे जाम करने में मदद करता है। ये सिस्टम स्पेशल पैकेज के तहत मिला है, जिसकी लागत 190 मिलियन डॉलर है। इसमें 12 गार्जियन लेजर ट्रांसमिटर असेंबली, मिसाइल वार्निंग सेंसर और काउंटर-मेजर डिस्पेंसिंग सिस्टम भी है। अमेरिका की डिफेंस सिक्योरिटी को-ऑपरेशन एजेंसी ने भी इसे क्लियरेंस दिया है।
  • इन विमानों में लेटेस्ट सिक्योरिटी और कम्युनिकेशन सिस्टम हैं। ये विमान ग्रेनेड और रॉकेट हमला तक झेल सकता है। कुछ रिपोर्ट्स ये भी कहती हैं कि इसमें हवा में ही फ्यूल भरा जा सकता है। हालांकि, इस बात की अभी कोई पुष्टि नहीं हुई है।

17 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है
इस विमान में न सिर्फ बेहतरीन सेल्फ-डिफेंस इक्विपमेंट हैं, बल्कि ये विमान दो GE90-115BL इंजन से लैस है, जो दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंजन है। बोइंग 777-300 ईआर एक बार में 17 घंटे तक की उड़ान भर सकता है और भारत से अमेरिका के बीच की लंबी दूरी भी एक बार में तय कर सकता है। वो भी बिना रिफ्यूलिंग के। यानी एक बार के फ्यूल से ही इससे लंबी दूरी की उड़ान भरी जा सकती है। इससे पहले बोइंग 747 में ये क्षमता नहीं थी।

सिर्फ वीवीआईपी के लिए ही होंगे नए विमान

  • भारत के लिए तैयार हो रहे 'एयरफोर्स वन' या 'एयर इंडिया वन' विमान सिर्फ और सिर्फ वीवीआईपी के लिए ही होंगे। अभी तक होता ये था कि वीवीआईपी के लिए जो विमान इस्तेमाल होते थे, वो पहले कमर्शियल विमान रह चुके थे। फिलहाल, भारतीय वायुसेना के बेड़े में एम्ब्रेयर जेट शामिल है।
  • जो नए बोइंग 777-300 ईआर भारत आ रहे हैं, उनपर हिंदी और अंग्रेजी भाषा में 'भारत' लिखा होगा और बीच में राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न होगा। जबकि, इसकी टेल पर तिरंगा बना होगा। ठीक उसी तरह, जिस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति के विमान में होता है।

हवा में ही पहुंच जाएगा पीएमओ

  • ये एयरक्राफ्ट मिनी पीएमओ की तरह काम करेगा और इसमें सिक्योर मोबाइल और सैटेलाइट फोन और कम्युनिकेशन फैसेलिटी भी हैं। इस विमान में कॉन्फ्रेंसिंग के लिए भी अलग से जगह है। साथ ही वीवीआईपी और सीनियर अफसरों के बैठने के लिए अलग जगह हैं। इसमें किचन भी है। इस विमान में ऑन-बोर्ड मेडिकल स्टाफ भी होगा और एक छोटा ऑपरेशन थिएटर भी।
  • ऐसे दो विमान सितंबर के पहले हफ्ते में आने की उम्मीद है। कोरोनावयरस की वजह से इनकी डिलिवरी दो महीने लेट हो रही है।


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The government's dining discount scheme ends on Monday, but there are calls for it to be extended.

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Suspected militants attacked Pakistani troops amid a search operation in a former Taliban and alQaida stronghold in the northwest near the Afghan border, triggering a shootout that killed three soldiers, the army said Sunday.

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Christian Kroll is the boss of Ecosia, which donates 80% of its profits to tree-planting projects.

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Sunday, August 30, 2020

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी में अपराधी जिस तरह से बेखौफ होकर घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, उससे प्रदेश की पुलिस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। लखनऊ स्थित कबीर मठ के प्रशासनिक अधिकारी को बदमाशों ने दिनदहाड़े गोली

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नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर मे एक बार फिर से आतंकियों ने सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया है। जानकारी के अनुसार आतंकियों ने श्रीनगर के पंथा चौक में पुलिस और सीआरपीएफ की ज्वाइंट नाका टीम पर गोलीबारी की है। कश्मीर जोन पुलिस ने

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जिन खबरों पर आज रहेगी नजर...

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को रेडियो पर मन की बात करेंगे। प्रधानमंत्री के 'मन की बात' कार्यक्रम की यह 68वीं कड़ी होगी। दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद यह 'मन की बात' की यह उनकी 15वीं कड़ी होगी।
  • बीसीसीआई इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) का पूरा शेड्यूल आज जारी कर सकती है।
  • सुशांतसिंह राजपूत की मौत के मामले में जांच कर रही सीबीआई टीम रविवार को भी सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रबर्ती को पूछताछ के लिए फिर से बुला सकती है।
  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पर्यावरण संरक्षण गतिविधि और हिंदू आध्यात्मिक और सेवा संस्थान का 30 अगस्त को प्रकृति वंदन कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसे आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर सम्बोधित करेंगे।
  • राजस्थान में कांग्रेस के नए प्रदेश प्रभारी अजय माकन राजस्थान दौरे पर आ रहे हैं और वह रविवार शाम को जयपुर पहुंचेंगे। राजस्थान में गहलोत-पायलट विवाद के बाद पहली बार ये किसी बड़े नेता का दौरा है।
  • बिहार में महागठबंधन छोड़कर आए जीतनराम मांझी जदयू में शामिल होने की औपचारिक घोषणा कर सकते हैं।

कल की वो जरूरी खबरें, जो आप जानना चाहेंगे

  • अनलॉक-4 में धार्मिक-राजनीतिक कार्यक्रमों में 100 लोगों की छूट

केंद्र सरकार ने शनिवार शाम को अनलॉक-4 की गाइड लाइन जारी कर दी है। इसके मुताबिक, 7 सितंबर से दिल्ली में मेट्रो ट्रेनें दौड़ने लगेंगी। हालांकि, ये चरणबद्ध तरीके से शुरू की जाएंगी। 1 सितंबर से सोशल, अकादमिक, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट, कल्चरल, धार्मिक, राजनीतिक कार्यक्रम भी आयोजित हो सकेंगे। इसमें 100 लोगों को शामिल होने की अनुमति ही होगी।
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  • जम्मू के सांबा सेक्टर में मिली 450 फीट की सुरंग

शनिवार को बीएसएफ के जवानों ने जम्मू के सांबा सेक्टर में बार्डर के पास पाकिस्तान से जोड़ती एक सुरंग खोज ली। करीब 450 फीट लंबी इस सुरंग का इस्तेमाल आतंकियों की घुसपैठ और हथियार-ड्रग्स आदि की स्मगलिंग के लिए होता था। जम्मू बीएसएफ रेंज के आईजी एनएस जामवाल ने बताया कि इसे लेकर हमें एक इनपुट मिला था। सर्च ऑपरेशन के दौरान इसका पता चला। जीरो लाइन से भारत की तरफ यह 450 फीट (150 यार्ड) लंबी है। इसका मुंह रेत की बोरी से ढंका गया था।
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  • सुशांत केस में नया दावा, गर्दन पर सुई के निशान थे

अभिनेता सुशांतसिंह राजपूत की मौत के मामले में खुद को अस्पताल का कर्मचारी बताने वाले एक व्यक्ति ने दावा किया है कि सुशांत की डेडबॉडी के गले पर सुई के निशान थे और उनका एक पैर भी टूटा हुआ था। इस व्यक्ति का वीडियो सुशांत की बहन श्वेतासिंह कीर्ति ने ट्वीट किया है। वहीं, शनिवार को रिया चक्रबर्ती के कुछ चैट भी वायरल हुए हैं, जिनमें ड्रग्स संबंधी बातें सामने आई हैं।
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सुरेश रैना ने 15 अगस्त की शाम को पूर्व कप्तान महेंद्रसिंह धोनी द्वारा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा करने के एक घंटे बाद ही खुद के संन्यास की घोषणा कर दी थी। वे धोनी के साथ ही आईपीएल की चैन्नई सुपरकिंग्स के सदस्य रहे हैं।
  • आईपीएल पर कोरोना का साया, सुरेश रैना निजी कारणों से नहीं खेलेंगे

19 सितंबर से यूएई में शुरू होने आईपीएल पर कोरोना का साया मंडरा रहा है। बीसीसीआई ने कहा है कि कोरोना टेस्ट में 2 खिलाड़ी और 11 सपोर्ट स्टाफ पॉजिटिव पाए गए हैं। इन लोगों में कोई लक्षण नहीं थे। वहीं, बाएं हाथ के बल्लेबाज सुरेश रैना इस आईपीएल में चैन्नई सुपर किंग्स की टीम के साथ नहीं दिखाई देंगे। वे निजी कारणों से भारत लौट आए हैं। आईपीएल का पूरा शेड्यूल भी रविवार को जारी होना है।
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  • फेसबुक हेट स्पीच विवाद में फिर कूदी कांग्रेस

फेसबुक पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने फिर से फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग को चिट्ठी लिखी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने टाइम मैगजीन की एक रिपोर्ट को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला। राहुल ने ट्वीट कर कहा "टाइम ने वॉट्सऐप और भाजपा की साठगांठ का खुलासा किया है। 40 करोड़ भारतीय यूजर वाला वॉट्सऐप पेमेंट सर्विस भी शुरू करना चाहता है, इसके लिए मोदी सरकार की मंजूरी जरूरी है। इस तरह वॉट्सऐप पर भाजपा के नियंत्रण का पता चलता है।"
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  • गृहमंत्री अमित शाह पूरी तरह स्वस्थ्य

कोरोना से जीतने के बाद फिर से सांस की परेशानी के चलते एम्स में भर्ती हुए गृहमंत्री अमित शाह की सेहत को लेकर डॉक्टरों ने कहा है कि अब वे पूरी तरह स्वस्थ हैं और जल्दी ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी जाएगी। 2 अगस्त को उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। 14 अगस्त को वे पूरी तरह ठीक होकर लौट गए थे, लेकिन दो-तीन दिन के बाद ही उन्हें सांस की तकलीफ और बदन दर्द की शिकायत के बाद भर्ती किया गया था।
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आज का इतिहास

  1. 1923 में हिंदी के प्रमुख गीतकार शंकरदास केसरीलाल शैलेंद्र का जन्म हुआ। उन्होंने शैलेंद्र के नाम से कई फिल्मों में गीत लिखे थे।
  2. 1928 में रास बिहारी बोस और जवाहरलाल नेहरू ने द इंडिपेंडेंस ऑफ इंडिया लीग की भारत में स्थापना की। ये लीग प्रवासी भारतीयों को ब्रिटिश शासन से हटाने के लिए थी।
  3. 1947 में भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए डॉ. भीमराव आम्बेडकर की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया।


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भारत के इतिहास में एक योद्धा और एक कवि के तौर पर दारा शिकोह का अपना महत्व है। यहां तक कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी उन्हें एक आदर्श मुसलमान मानता आया है। इसी साल जनवरी में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने दारा शिकोह की कब्र तलाशने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सात सदस्यीय टीम बनाई थी। माना जाता है कि दारा शिकोह की कब्र हुमायूं का मकबरा परिसर में 140 कब्रों में से एक है।

पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम में शामिल एक सदस्य केके मुहम्मद ने दारा शिकोह को अपने समय का महानतम मुक्त विचारक कहा है। उनके अनुसार दारा शिकोह को उपनिषद का महत्व समझ आया और उन्होंने उसका अनुवाद किया। तब तक उसकी जानकारी सिर्फ उच्च जातियों के हिंदुओं को ही थी। पारसी में अनुवाद होने के बाद ही अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा समेत कई लोगों को उसने प्रेरित किया।

  • मॉस्को-वॉशिंगटन के बीच मध्यस्थ बना रेड फोन

1960 के दशक में पेंटागन से अमेरिकी सैनिक हॉटलाइन पर मैसेज मॉस्को भेजते हुए।


वॉशिंगटन और मॉस्को को जोड़ने वाली हॉटलाइन पर पहला टेस्ट मैसेज 30 अगस्त 1963 को भेजा गया था। यह मैसेज था- "The quick brown fox jumped over the lazy's dog's back 1234567890.' उस समय रूस और अमेरिका में युद्ध की परिस्थिति बन रही थी।

शाब्दिक बातचीत से होने वाली गलतफहमी टालने के लिए लिखित संदेश भेजने के लिए टेलीटाइप और टेलीग्राफ टर्मिनल का इस्तेमाल होता था। अमेरिकी टर्मिनल पेंटागन में था। हैरानी की बात यह है कि रेड फोन नाम की कोई चीज इस सिस्टम में नहीं है। आखिरी बार बराक ओबामा ने इस सिस्टम का इस्तेमाल किया और रूस को 2016 के चुनावों में हैकिंग को लेकर आगाह किया था।

  • बीआर अंबेडकर बने संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष
भारत का संविधान लिखने वाली प्रारूप समिति के सदस्य। समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर बैठे हुए लोगों में बाएं से तीसरे हैं।

आज हमारी पहचान बन चुके भारत के संविधान से आज की तारीख का खास संबंध है। संविधान सभा ने 29 अगस्त 1947 को सात सदस्यों की संविधान प्रारूप समिति बनाई थी। इसके अगले दिन यानी 30 अगस्त 1947 को समिति के सदस्यों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर को समिति का अध्यक्ष बनाया था। समिति ने दो साल का वक्त लेकर संविधान का प्रारूप तैयार किया। इसे 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा के सामने पेश किया गया। बाद में 26 जनवरी 1950 को यह लागू हुआ और हमारा देश गणतंत्र बना।

आज लघु उद्योग दिवस

हर साल 30 अगस्त लघु उद्योग दिवस मनाया जाता है। लागू उद्योग दिवस लघु उद्योगों को बढ़ावा देने और बेरोजगार को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मनाया जाता है। भारत जैसे विकासशील देश में आर्थिक विकास में लघु उद्योगों की भूमिका महत्वपूर्ण है।

इतिहास में आज के दिन को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता हैः-

  • 1559: महान सम्राट अकबर के बेटे और मुगल वंश के शासक जहांगीर का जन्म।
  • 1682: ब्रिटिश धर्मसुधारक विलियम पेन को इंग्लैंड छोड़ना पड़ा। वह अमेरिका पहुंचे। वहां पेनसिल्वेनिया की स्थापना की ताकि लोग धार्मिक तौर पर स्वतंत्र हो सके।
  • 1806: न्यूयॉर्क शहर का दूसरा दैनिक समाचार पत्र "डेली एडवर्टाइजर" आखिरी बार प्रकाशित किया गया।
  • 1888: क्रांतिकारी कनाईलाल दत्त का जन्म जो भारत की आजादी के लिए फांसी के फंदे पर झूल गए।
  • 1928: रास बिहारी बोस और जवाहरलाल नेहरू ने द इंडिपेंडेंस ऑफ इंडिया लीग की भारत में स्थापना की। इसका मकसद प्रवासी भारतीयों को भारत में ब्रिटिश राज हटाने के लिए प्रेरित करना था।
  • 1984: अंतरिक्ष यान "डिस्कवरी" ने पहली बार उड़ान भरी थी।
  • 2007: जर्मनी के दो वैज्ञानिकों गुंटर निमित्ज और आल्फोंस स्टालहोफेन ने अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धान्त को गलत ठहराने का दावा किया।


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गणेश चतुर्थी के दस दिन बाद यानी अनंत चतुर्दशी पर श्री गणेश मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस बार ये दिन 1 सितंबर को है। हालांकि, पंचांग भेद के कारण कुछ जगह पर 31 अगस्त को ही ये पर्व मना लिया जाएगा। देश में कुछ जगह लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार 4, 5, 7, 10 या 11वें दिन गणेश विसर्जन करते हैं।

काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र बताते हैं कि विसर्जन से पहले उत्तर पूजा का विधान है। पूजा के बाद विशेष नैवेद्य लगाकर ब्राह्मण भोज भी करवाया जाता है। ग्रंथों में बताया गया है कि उत्सवों के लिए किसी मूर्ति में देवी-देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा की जाए तो उनका विसर्जन करना भी जरूरी है। इसलिए गणेशोत्सव के बाद विसर्जन की परंपरा है।

  • पं. मिश्रा के अनुसार ग्रंथों में गणेश प्रतिमा विसर्जन के लिए मध्याह्न काल श्रेष्ठ बताया गया है। लेकिन, संभव न हो तो सुविधा के अनुसार किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है। ग्रंथों में बताया गया है कि सूर्यास्त से पहले ही प्रतिमा विसर्जन किया जाना चाहिए।

विसर्जन का महत्व: गणेश जल तत्व के अधिपति देवता हैं गणेश
पं. मिश्र का कहना है कि भगवान गणेश जल तत्व के अधिपति देवता हैं। इसलिए उनकी प्रतिमा का विसर्जन जल में किया जाता है। जल पंच तत्वों में से एक है। इसमें घुलकर प्राण प्रतिष्ठित गणेश मूर्ति पंच तत्वों में सामहित होकर अपने मूल स्वरूप में मिल जाती है। जल में विसर्जन होने से भगवान गणेश का साकार रूप निराकार हो जाता है। जल में मूर्ति विसर्जन से यह माना जाता है कि जल में घुलकर परमात्मा अपने मूल स्वरूप से मिल गए। यह परमात्मा के एकाकार होने का प्रतीक भी है।

  • मिट्टी की गणेश प्रतिमा को घर में किसी साफ बर्तन में विसर्जन करना चाहिए। नदियों में मूर्ति विसर्जन करने से बचना चाहिए। क्योंकि, ब्रह्मपुराण और महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि नदियों को गंदा करने से दोष लगता है।

मिट्टी के गणेश, घर में ही विसर्जन
दैनिक भास्कर समूह कई वर्षों से "मिट्टी के गणेश-घर में ही विसर्जन" अभियान चला रहा है। इसका मूल उद्देश्य यही है कि हम अपने तालाब और नदियों को प्रदूषित होने से बचा सकें। इसलिए आप घर या कॉलोनी में कुंड बनाकर विसर्जन करें और उस पवित्र मिट्टी में एक पौधा लगा दें। इससे न सिर्फ ईश्वर का आशीर्वाद बना रहेगा, बल्कि उनकी याद भी घर-आंगन में महकती रहेगी। यह पौधा बड़ा होकर पर्यावरण में योगदान देगा। साथ ही घर में नई समृद्ध परंपरा का संचार होगा।

उत्तर पूजा विधि और मंत्र
सुबह जल्दी उठकर नहाएं और मिट्टी से बने गणेशजी की पूजा का करें। चंदन, अक्षत, मोली, अबीर, गुलाल, सिंदूर, इत्र, जनेऊ चढ़ाएं। इसके बाद गणेशजी को 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। 21 लड्डुओं का भोग लगाएं फिर कर्पूर से भगवान श्रीगणेश की आरती करें। इसके प्रसाद अन्य भक्तों को बांट दें।

विसर्जन स्थान पर मौजूद परिवार के सदस्य और अन्य लोग हाथ में फूल और अक्षत लें। फिर विसर्जन मन्त्र बोलकर गणेश जी को चढ़ाएं और प्रणाम करें।

इन बातों का रखें ध्यान

विसर्जन से पहले उत्तर पूजा की जाती है और गणेशजी का विशेष श्रृंगार किया जाता है। जो भगवान गणपति के साथ ही पानी में विसर्जित किया जाता है।


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Ganesh Visarjan on 1 September; Ganesh Visarjan And Puja Muhurta in the Morning and Afternoon


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शेयर बाजार में एक सितंबर से आम निवेशकों के लिए नियम बदलने वाले हैं। अब वे ब्रोकर की ओर से मिलने वाली मार्जिन का लाभ नहीं उठा सकेंगे। जितना पैसा वे अपफ्रंट मार्जिन के तौर पर ब्रोकर को देंगे, उतने के ही शेयर खरीद सकेंगे। इसे लेकर कई शेयर ब्रोकर आशंकित है कि वॉल्युम नीचे आ जाएगा। आइए समझते हैं क्या है यह नया नियम और आपकी ट्रेडिंग को किस तरह प्रभावित करेगा?

सबसे पहले, यह मार्जिन क्या है?

  • शेयर मार्केट की भाषा में अपफ्रंट मार्जिन सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले शब्दों में से एक है। यह वह न्यूनतम राशि या सिक्योरिटी होती है जो ट्रेडिंग शुरू करने से पहले निवेशक स्टॉक ब्रोकर को देता है।

  • वास्तव में यह राशि या सिक्योरिटी, बाजारों की ओर से ब्रोकरेज से अपफ्रंट वसूली जाने वाली राशि का हिस्सा होती है। यह इक्विटी और कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग से पहले वसूली जाती है।

  • इसके अलावा स्टॉक्स में किए गए कुल निवेश के आधार पर ब्रोकरेज हाउस भी निवेशक को मार्जिन देते थे। यह मार्जिन ब्रोकरेज हाउस निर्धारित प्रक्रिया के तहत तय होती थी।

  • इसे ऐसे समझिए कि निवेशक ने एक लाख रुपए के स्टॉक्स खरीदे हैं। इसके बाद भी ब्रोकरेज हाउस उसे एक लाख से ज्यादा के स्टॉक्स खरीदने की अनुमति देते थे।

  • अपफ्रंट मार्जिन में दो मुख्य बातें शामिल होती हैं, पहला वैल्यू एट रिस्क (वीएआर) और दूसरा एक्स्ट्रीम लॉस मार्जिन (ईएलएम)। इसी के आधार पर किसी निवेशक की मार्जिन भी तय होती है।

अब तक क्या है मार्जिन लेने की प्रक्रिया?

  • मार्जिन दो तरह की होती है। एक तो है कैश मार्जिन। यानी आपने जितना पैसा आपके ब्रोकर को दिया है, उसमें कितना सरप्लस है, उतने की ही ट्रेडिंग आप कर सकते हैं।

  • दूसरी है स्टॉक मार्जिन। इस प्रक्रिया में ब्रोकरेज हाउस आपके डीमैट अकाउंट से स्टॉक्स अपने अकाउंट में ट्रांसफर करते हैं और क्लियरिंग हाउस के लिए प्लेज मार्क हो जाती है।

  • इस सिस्टम में यदि कैश मार्जिन के ऊपर ट्रेडिंग में कोई नुकसान होता है तो क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क किए स्टॉक को बेचकर राशि वसूल कर सकता है।

नया सिस्टम किस तरह अलग होगा?

  • सेबी ने मार्जिन ट्रेडिंग को नए सिरे से तय किया है। अब तक प्लेज सिस्टम में निवेशक की भूमिका कम और ब्रोकरेज हाउस की ज्यादा होती थी। वह ही कई सारे काम निवेशक की ओर से कर लेते थे।

  • नए सिस्टम में स्टॉक्स आपके अकाउंट में ही रहेंगे और वहीं पर क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क कर देगा। इससे ब्रोकर के अकाउंट में स्टॉक्स नहीं जाएंगे। मार्जिन तय करना आपके अधिकार में रहेगा।

  • प्लेज ब्रोकर के फेवर में मार्क हो जाएगी। ब्रोकर को अलग डीमैट अकाउंट खोलना होगा- ‘टीएमसीएम- क्लाइंट सिक्योरिटी मार्जिन प्लेज अकाउंट’। यहां टीएमसीएम यानी ट्रेडिंग मेंबर क्लियरिंग मेंबर।

  • तब ब्रोकर को इन सिक्योरिटी को क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के फेवर में री-प्लेज करना होगा। तब आपके खाते में अतिरिक्त मार्जिन मिल सकेगी।

  • यदि मार्जिन में एक लाख रुपए से कम का शॉर्टफॉल रहता है तो 0.5% पेनल्टी लगेगी। इसी तरह एक लाख से अधिक के शॉर्टफॉल पर 1% पेनल्टी लगेगी। यदि लगातार तीन दिन मार्जिन शॉर्टफॉल रहता है या महीने में पांच दिन शॉर्टफॉल रहता है तो पेनल्टी 5% हो जाएगी।

नई व्यवस्था में आज खरीदो, कल बेचो (बीटीएसटी) का क्या होगा?

  • शेयर मार्केट में बीटीएसटी प्रचलित टर्म है, जब निवेशक आज किसी शेयर को खरीदता है और दूसरे ही दिन उसे बेच देता है। नए नियम से यह प्रक्रिया बदलने वाली है।

  • यदि अगले ही दिन आपको स्टॉक बेचना है तो आपको वीएआर+ईएलएम मार्जिन चाहिए होगी। यदि एक लाख रुपए का रिलायंस स्टॉक आपने आज खरीदा, आपको उसे बेचने के लिए 22 हजार रुपए की मार्जिन कल आपके अकाउंट में रखनी ही होगी।

  • ब्रोकर्स ने इसका भी रास्ता निकाला है। यदि आपने आज कोई शेयर खरीदा और उसका पूरा भुगतान ब्रोकर को किया है तो भी ब्रोकर एक्सचेंज को वीएआर+ईएलएम ही चुकाएगा। इससे आपके पास अगले दिन उस स्टॉक को बेचने के लिए पर्याप्त मार्जिन होगी।

  • उदाहरण के लिए, यदि आपके एक लाख रुपए है और आपने रिलायंस खरीदा। ब्रोकर वीएआर+ईएलएम के तौर पर 22 हजार रुपए ब्लॉक करेगा और रिपोर्ट करेगा। इस तरह, अगले दिन एक लाख रुपए का रिलायंस बेचने के लिए बचे हुए 78 हजार में से आपको मार्जिन मिल जाएगी।

  • बीटीएसटी ट्रेड्स की अनुमति देने के लिए कुछ ब्रोकर्स ने यह रास्ता निकाला है। लेकिन यह उन्हीं स्टॉक्स पर उपलब्ध है जिन पर वीएआर+ईएलएम 50% से कम है। चूंकि, टॉप 1,500 स्टॉक्स की वीएआर+ईएलएम 50% से कम है, इस वजह से बीटीएसटी संभव हो सकेगा।

इसका निवेशकों को क्या फायदा होगा?

  • सेबी को नया नियम लाना पड़ा क्योंकि प्लेज किए जाने वाले स्टॉक्स के ट्रांसफर ऑफ टाइटल (ऑनरशिप) को लेकर दिक्कतें थी। कुछ ब्रोकर्स ने इसका दुरुपयोग किया।

  • चूंकि, स्टॉक्स निवेशक के डीमैट खाते में ही रहेंगे, ब्रोकर इन सिक्योरिटी या स्टॉक का दुरुपयोग नहीं कर सकेगा। एक क्लाइंट के स्टॉक को प्लेज कर दूसरे क्लाइंट की मार्जिन बढ़ाना उनके लिए संभव नहीं होगा।

  • मौजूदा प्लेज सिस्टम में स्टॉक्स ब्रोकर के कोलेटरल अकाउंट में होते थे, इसलिए उस पर मिलने वाले डिविडेंड, बोनस, राइट्स आदि का लाभ ब्रोकर उठा लेता था। अब ऐसा नहीं हो सकेगा।

  • सभी सिक्योरिटी पर प्लेज की अनुमति होगी क्योंकि कुछ ब्रोकर एक्सचेंज से अनुमति होने के बाद भी कई सिक्योरिटी पर प्लेज स्वीकार नहीं करते थे।

निवेशकों को क्या नुकसान है?

  • भारत में आम तौर पर स्टॉक्स के सेटलमेंट में दो दिन लगते हैं। यानी आप स्टॉक खरीदते हैं तो आपके डीमैट अकाउंट में उसे आने में दो दिन (T+2) लग जाते हैं। इसी तरह स्टॉक बेचने पर उसका क्रेडिट अकाउंट में पहुंचने में दो दिन लग जाते हैं।

  • यदि आपने एक लाख रुपए के शेयर बेचे और उसी दिन कुछ और खरीदना चाहते हैं तो नहीं खरीद सकेंगे। आपको प्लेज करना होगा और मार्जिन लेनी होगी। अब तक ब्रोकर बिक्री पर नोशनल कैश दे देते थे, जिससे उसी दिन दूसरा शेयर खरीदा जा सकता था।

  • नई व्यवस्था में नोशनल कैश की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। इस वजह से आपको बेचने पर उसका पैसा क्रेडिट होने का इंतजार करना होगा। उसके बाद ही आप कोई शेयर खरीद सकेंगे। अन्यथा आपको अपने अकाउंट के शेयर प्लेज कर मार्जिन जुटानी होगी।

ब्रोकरिंग हाउस नए सिस्टम का क्यों विरोध कर रहे हैं?

  • ब्रोकरिंग हाउसेस को चिंता है कैश और डेरिवेटिव्स सेग्मेंट में मार्केट और उनके खुद के टर्नओवर कम होने की। उन्हें लग रहा है कि डेली टर्नओवर 20-30% कम हो जाएगा।

  • क्लाइंट्स को अपने अकाउंट में हायर मार्जिन बनाकर रखनी होगी और इससे उनके रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट पर भी असर पडे़गा। उनकी रिस्क लेने की क्षमता भी कम हो जाएगी।

  • इस बदलाव से न केवल ब्रोकर्स को बल्कि सरकार को भी नुकसान होगा। सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) के तौर पर सरकार को मिलने वाला राजस्व कम होगा।



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