Sunday, September 6, 2020

Latest hindi and english news

कोरोना संकट का असर कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री पर भी है। छात्रों के भरोसे चलने वाली कोटा की इकोनॉमी बैठ गई है। यहां फीस छोड़कर हर साल छात्रों से करीब 2 हजार करोड़ रुपए का कारोबार होता था। इसमें खाना-पीना, हॉस्टल की फीस, ट्रांसपोर्टेशन जैसे खर्च शामिल हैं। आज यह कमाई घट गई है।

पिछले साल यहां करीब 1,75,000 स्टूडेंट्स जेईई मेन और एडवांस और नीट की तैयारी कर रहे थे। अभी 3 हजार से भी कम छात्र कोटा में मौजूद हैं। जो हैं वो भी ज्यादा खर्च नहीं कर रहे हैं। कोचिंग एरिया में सन्नाटा है। हॉस्टल, मेस और स्टेशनरी जैसे व्यापारों पर भी फर्क पड़ा है।

कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि कोटा में करीब 3 हजार हॉस्टल हैं, जिनमें लगभग सवा लाख कमरे हैं। यहां से हर साल करीब 12 सौ करोड रु. का कारोबार होता था। पीजी से भी करीब 450 करोड़ रु. का कारोबार था।

नवीन कहते हैं कि हॉस्टल संचालकों के सामने बड़ी मुसीबत है। हर हॉस्टल पर औसतन एक करोड़ रु. का कर्ज है। एक-एक हॉस्टल पर हर माह 90 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक की ईएमआई आती है। ऐसे में बच्चे नहीं रहेंगे तो इनको भरना संभव नहीं है।

इन 6 तरीकों से पढ़ाई पूरी करवाई जा रही है

1. फैकल्टी के घर स्टूडियो बनवाया, लेक्चर रिकॉर्ड कर भेजते हैं
एलेन कोचिंग के निदेशक राजेश माहेश्वरी बताते हैं कि हमने टीचिंग फैकल्टी के घर पर ही रिकॉर्डिंग स्टूडियो बनवा दिया है। इसका फायदा यह हो रहा है कि फैकल्टी अपने घर से ही वीडियो लेक्चर रिकॉर्ड करके हमें भेज देती है, जिसे हम शेड्यूल वाइस छात्रों को भेज देते हैं।

2. बायजू जैसे एप से कंटेंट टाइअप, नया रेवेन्यू मॉडल तैयार किया
कुछ संस्थानों ने नया रेवेन्यू मॉडल भी बनाया है। बायजू जैसे ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफाॅर्म से टाइअप किया गया है। ये एप इंजीनियरिंग और मेडिकल परीक्षाओं की तैयारी का मॉडल बनाने में मदद कर रहे हैं। इसके लिए कोटा कोचिंग ने बतौर कंटेंट पार्टनर टाइप किया है।

3. पढ़ाई में मदद के लिए कॉल सेंटर, अटेंडेंस भी यहीं से चेक
कोचिंग संस्थानों ने छात्रों के लिए कॉल सेंटर की भी व्यवस्था की है। कोई भी छात्र यहां कॉल करके अपनी समस्या बता सकता है। इसके अलावा कॉल सेंटर के कर्मचारी बच्चों की अटेंडेंस पर भी निगाह रखते हैं। दो-तीन दिन किसी छात्र के क्लास अटेंड न करने पर ये कर्मचारी बच्चे के घर पर संपर्क करते हैं।

4. प्रॉब्लम सॉल्विंग काउंटर, हर सवाल की डेडलाइन तय
छात्रों की समस्याएं हल करने के लिए ऑनलाइन प्रॉब्लम सॉल्विंग काउंटर बनाए गए हैं। छात्रों को वॉट्सऐप नंबर और ग्रुप से जोड़ा गया है। इसके जरिए छात्र कभी भी समस्याएं या कोई सवाल पूछ सकते हैं। कोचिंग प्रबंधन ने समस्याओं का समाधान करने की डेडलाइन भी तय कर रखी है। अधिकतर समस्याएं 6-8 घंटे के भीतर हल हो जाती हैं।​​​​​​

5. वेबसाइट, कोचिंग एप और वॉट्सएप पर चल रही क्लास
राजेश माहेश्वरी बताते हैं कि हमने स्टूडेंट्स की जरूरतों का ध्यान रखकर ही ऑनलाइन टीचिंग मटेरियल डिजाइन किया है। हम पहले से ऑनलाइन मोड पर शिफ्ट होने के लिए तैयार थे। इसलिए हमें ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। नए सेशन में हमारे अलग-अलग प्लेटफाॅर्म पर करीब एक लाख स्टूडेंट जुड़े हुए हैं। वेब पोर्टल, एप और वॉट्सऐप के जरिए छात्र रोज वीडियो क्लास से जुड़ जाते हैं।

6. बच्चों के लिए ऑफलाइन स्टडी मटेरियल भी भेज रहे
मोशन क्लासेस के मैनेजिंग डायरेक्टर नितिन विजय कहते हैं कि हम ऑनलाइन और ऑफलाइन वीडियो लेक्चर के अलावा स्टडी मटेरियल भी छात्रों को भेजते हैं। कई अन्य कोचिंग सेंटर भी ऑफलाइन स्टडी मटेरियल भेज रहे हैं। ताकि उन बच्चों को परेशान न हो जो ऐसे क्षेत्रों में हैं जहां रोजाना 6-8 घंटे ऑनलाइन क्लास लेना संभव नहीं है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
कोचिंग सेंटर्स में सन्नाटा है। हॉस्टल, मेस और स्टेशनरी जैसे कारोबार पर भी असर पड़ा है। -फाइल फोटो


from Dainik Bhaskar /national/news/business-of-2-thousand-crores-was-done-from-students-except-fees-in-kota-127690714.html
https://ift.tt/3h4ZBaY

No comments:

Post a Comment

'Mitron' app kya hai/what is 'mitron' app

                    मितरोन एप क्या है Mitron एक सोशल मीडिया एप्लिकेशन है।mitron ऐप को भारत में एक आईआईटी के छात्र ने बनाया है। उसका नाम श...