दिल्ली और मुंबई के बीच कोरोना के बढ़ते आंकड़ों की ऐसी रेस चल रही है जिसे कोई भी जीतना नहीं चाहेगा। यही दो महानगर हैं जो कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। देश भर में कोरोना के जो कुल मामले सामने आए हैं, उनमें से लगभग 30 प्रतिशत सिर्फ इन दो शहरों से ही हैं।
दिल्ली में कोरोना का पहला मामला 2 मार्च को सामने आया था। वहीं, मुंबई में पहला मामला इसके 9 दिन बाद दर्ज किया गया, लेकिन फिर यह संक्रमण बेहद तेजी से फैला। स्थिति यह बन पड़ी कि मई के आखिर तक मुंबई में कुल 39,686 मामले दर्ज हो चुके थे। जबकि इस वक्त तक दिल्ली में संक्रमितों की कुल संख्या 19,844 थी। यानी मुंबई की तुलना में लगभग आधी।
यह वो समय था जब तक देशभर में लॉकडाउन का सख्ती से पालन हो रहा था। लेकिन, जून आते-आते लॉकडाउन में ढील दिए जाने की आवाजें तेज होने लगी थीं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इनमें मुख्य थे जो लॉकडाउन को खत्म करने की जोर-शोर से पैरवी कर रहे थे। लेकिन लॉकडाउन का हटना सबसे घातक दिल्ली के लिए ही साबित हुआ है।
जहां मई के अंत तक दिल्ली में संक्रमितों की कुल संख्या 20 हजार से नीचे थी, वहीं जून में इसमें करीब 50 हजार का इजाफा हुआ और यह 70 हजार के पार हो गई। इन आंकड़ों के साथ ही मुंबई को पछाड़ते हुए दिल्ली सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमितों वाला शहर बन गया।
कोरोना से हुई मौतों का आंकड़ा
लॉकडाउन हटने के साथ ही दिल्ली में कोरोना से मरने वालों की संख्या भी लगभग 5 गुना तक बढ़ गई है। मई के अंत तक दिल्ली में कोरोना के चलते कुल 473 मौतें हुई थीं। लेकिन जून शुरू होते ही यह आंकड़ा इस तेजी से बढ़ा कि महीने के शुरुआती आठ दिनों में ही लगभग दोगुना हो गया और 15 जून तक कुल 1400 लोग इस संक्रमण के चलते मारे गए।
बीते दस दिनों में कोरोना से होने वाली मौतों का यह सिलसिला लगभग इसी तेजी से बरकरार है। 26 जून तक दिल्ली में कुल 2 हजार 429 लोग कोरोना के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं। हालांकि, मुंबई की तुलना मेंयह आंकड़ा अब भी काफी कम है जहां चार हजार से ज्यादा लोग इस संक्रमण से मारे जा चुके हैं। मृत्यु दर की बात करें तो वह भी दिल्ली में 3 प्रतिशत के ही करीब है जबकि मुंबई में यह दर 5 प्रतिशत है।
बढ़ते मामलों की एक वजह टेस्ट में आई तेजी
दिल्ली में कोरोना से संक्रमितों की संख्या देश में सबसे ज्यादा है। लेकिन, कई विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे दिल्ली के बेकाबू हालात नहीं बल्कि लगातार बढ़ रही टेस्टिंग मुख्य कारण है। बीते कुछ हफ्तों में दिल्ली में प्रतिदिन होने वाली टेस्टिंग तीन गुना तक बढ़ाई गई है। पहले जहां औसतन 5-6 हजार लोगों का ही कोरोना टेस्ट रोजाना हो रहा था, वहीं अब 16 हजार से ज्यादा लोगों के टेस्ट प्रतिदिन किए जा रहे हैं। मुंबई की तुलना में टेस्टिंग का यह आंकड़ा काफी ज्यादा है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को प्रेस को संबोधित करते हुए कहा है, ‘हमने कोरोना टेस्टिंग की क्षमता तीन गुना तक बढ़ा दी है लेकिन हर रोज करीब तीन हजार मामले ही बढ़ रहे हैं। कुल मरीजों में करीब 45 हजार लोग ठीक भी हुए हैं।’ उन्होंने यह भी बताया कि फिलहाल प्रदेश में कुल 26 हजार सक्रिय मामले हैं।
उन्होंने कहा, ‘रोजाना तीन हजार मामले आने के बावजूद पिछले एक हफ्ते में अस्पतालों में छह हजार लोग भर्ती हुए हैं। दिल्ली में कोरोना संक्रमण हल्के लक्षणों वाले हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराए जाने की जरूरत नहीं है। फिलहाल हमारे पास 13,500 बिस्तर तैयार हैं।”
कंटेनमेंट जोन में डोर टू डोर टेस्टिंग
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को बताया कि दिल्ली के सभी कंटेनमेंट जोन में हर एक घर में जाकर टेस्टिंग की जाएगी। फिलहाल दिल्ली में कुल 227 कंटेनमेंट जोन हैं। सिसोदिया ने एक मीडिया समूह से बात करते हुए कहा है कि ‘सरकार के नए कोविड रिस्पॉन्स प्लान के अंतर्गत कंटेनमेंट जोन में रहने वाले सभी लोगों का अनिवार्य रूप से कोरोना टेस्ट किया जाएगा। 27 जून से हम दिल्ली में एंटी-बॉडी टेस्ट भी शुरू करने जा रहे हैं। इस टेस्ट के जरिए पता चलेगा कि क्या कोई व्यक्ति पहले ही कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद ठीक हो चुका है।’
बीते एक हफ्ते के अनुभवों को कुछ बेहतर मानते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा है, ‘पहले हम हर रोज करीब 6 से 7 हजार लोगों का टेस्ट कर रहे थे, जिनमें से करीब दो हजार लोग पॉजिटिव मिलते थे। लेकिन अब हर रोज करीब 18 हजार टेस्ट हो रहे हैं और उनमें से लगभग 3 हजार लोग पॉजिटिव मिल रहे हैं। यह एक अच्छा संकेत है। दिल्ली में मरीजों का रिकवरी रेट भी पहले की तुलना में बेहतर हुआ है। यह 41 फीसदी से बढ़कर अब 58 फीसदी है। इसके अलावा दिल्ली में कोरोना वायरस के मामलों की वृद्धि दर भी 5.8 प्रतिशत से घटकर 4.9 प्रतिशत रह गई है।’
सार्वजनिक यातायात बड़ी चुनौती
दिल्ली की लाइफलाइन कही जाने वाली दिल्ली मेट्रो बीते तीन महीनों से बंद है। यह कब शुरू होगी, इस बारे में फिलहाल कोई जानकारी भी दिल्ली मेट्रो ने नहीं दी है। आम दिनों में लगभग 15 लाख लोग दिल्ली मेट्रो में प्रतिदिन सफर करते हैं और यह मेट्रो 2700 से ज्यादा ट्रिप हर रोज लगाती हैं। कोरोना संक्रमण से दिल्ली मेट्रो पूरी तरह बंद हैं और इसने प्रदेश में लोकल यातायात को बेहद कठिन बना दिया है।
ऐसे में यात्रियों का पूरा भार फिलहाल डीटीसी बसों पर आ गया है। लेकिन ये भी सीमित संख्या में ही चलाई जा रही हैं। डीटीसी के पास करीब 6 हज़ार बसें हैं जिनमें से आधी ही फिलहाल चलाई जा रही हैं। इनमें से भी करीब 700 बसें पुलिस को स्पेशल ड्यूटी के लिए दी गई हैं। बाकी बची बसें यात्रियों के लिए चल रही हैं लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए इन बसों में सिर्फ 20 यात्री प्रति बस ही सवारी कर सकते हैं। लिहाजा अधिकतर बस स्टैंड पर पहुंचने से पहले ही बसें पूरी भर चुकी होती हैं।
यह बसें इतनी कम संख्या में क्यों चलाई जा रही है? यह सवाल करने पर डीटीसी के एक अधिकारी बताते हैं, ‘हमारे कई ड्राइवर कंटेनमेंट जोन के रहने वाले हैं इसलिए नहीं आ पा रहे। कुछ खुद कोरोना पॉजिटिव निकले हैं और कई 55 साल से ऊपर हैं। लेकिन फिर भी हमारी कोशिश है कि ऑफिस आने-जाने वाले समय पर कम से कम हम ज्यादा से ज्याजा बसें निकाल सकें।’
31 जुलाई तक बंद रहेंगे दिल्ली के स्कूल
दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद यह घोषणा की कि दिल्ली के सभी स्कूल 31 जुलाई तक पूरी तरह बंद रहेंगे। इस बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि इस साल सिलेबस को 50 प्रतिशत तक कम भी किया जा सकता है। इस बैठक का उद्देश्य यह भी तय करना था कि कोरोना संक्रमण के बाद जब स्कूल खोले जाएं तो उसके लिए किस-किस तरह की तैयारी जरूरी है। इस सम्बंध में दिल्ली सरकार ने कई शिक्षकों और अभिभावकों के सुझाव भी मांगे थे।
इन सुझावों में मुख्य यह थे कि सीमित छात्रों की हफ्ते में सिर्फ एक या दो क्लास आयोजित की जाएं, यह वैकल्पिक दिनों के अनुसार हों, सभी क्लास सैनिटाइज की जाएं, छात्रों को मास्क बांटें जाएं, स्कूल में दाखिल होते समय हर छात्र की थर्मल स्क्रीनिंग हो, सिलेबस कम किया जाए, ज्यादा से ज्यादा क्लास ऑनलाइन की जाएं और सामूहिक गतिविधियों पर रोक लगाई जाए। इन तमाम सुझावों पर चर्चा करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा है कि हम इन्हें ध्यान में रखते हुए ऐसी योजना बनाने का प्रयास करेंगे जो छात्रों को कोरोना के साथ जीना भी सिखाए और नई चुनौतियों के लिए उन्हें तैयार भी करे।
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